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शनिवार को प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पद्मावती शिवरामकृष्ण अय्यर का दिल्ली में COVID-19 इन्फेक्शन के बाद निधन हो गया। वह 103 वर्ष की थीं। पद्मावती भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट थीं। वह भारत की सबसे पुरानी कार्डियोलॉजिस्ट भी थीं, जो लगभग बहुत अंत तक एक्टिव रहीं।
कार्डियोलॉजी में पायनियर, डॉ. पद्मावती को ग्यारह दिन पहले नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (एनएचआई) में भर्ती कराया गया था और उनके दोनों फेफड़ों में गंभीर संक्रमण का इलाज चल रहा था। उन्हें निमोनिया भी हो गया था और बाद में उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शनिवार रात को उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ था।
स्पेनिश फ्लू महामारी से एक साल पहले 1917 में बर्मा (अब म्यांमार) में जन्मी, पद्मावती World War II के दौरान 1942 में भारत आई थी। फर्स्टपोस्ट ने बताया कि उसने रंगून मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और उच्च शिक्षा के लिए विदेश गई। डॉ पद्मावती ने 300 से अधिक लेख लिखे हैं।
महान हृदय रोग विशेषज्ञ ने अपना पूरा जीवन दवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें 1954 में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली में उत्तर भारत की पहली कार्डिएक कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला (cardiac catheterisation laboratory) स्थापित करने के लिए 'गॉडमदर ऑफ़ कार्डियोलॉजी' के नाम से जाना जाता था।भारत में कार्डियोलॉजी के विकास में उनके योगदान के लिए, उन्हें अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी, FAMS की फैलोशिप, 1967 में पद्म भूषण और 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
डॉ ओपी यादव, चीफ कार्डियक सर्जन और एनएचआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा “यहाँ तक कि अंतिम क्षण तक, वह बहुत शार्प थी और हमें उस समय शर्मिंदा कर देती थी जब हम किसी घटना को याद नहीं कर पाते थे लेकिन वह उन्हें याद होती थी। वह 93-94 साल की उम्र तक एक health enthusiast थीं, ”।
अपने अंतिम दिनों में, डॉ. पद्मावती दिल्ली में नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के संस्थापक निदेशक के रूप में काम कर रही थीं, टीओआई ने बताया। “उन्हें टेनिस खेलना बहुत पसंद था, जो उन्होंने कुछ समय पहले छोड़ दिया था।" यादव ने कहा कि उनकी शारीरिक क्षमता पिछले पांच वर्षों में रिस्ट्रिक्टेड हो गयी थी।
और पढ़िए : “मेरी मां मेरा सबसे बड़ा सहारा रही हैं” – इंडियन-ओरिजिन साइंटिस्ट डॉ. अमृता घाडगे
कार्डियोलॉजी में पायनियर, डॉ. पद्मावती को ग्यारह दिन पहले नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (एनएचआई) में भर्ती कराया गया था और उनके दोनों फेफड़ों में गंभीर संक्रमण का इलाज चल रहा था। उन्हें निमोनिया भी हो गया था और बाद में उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शनिवार रात को उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ था।
स्पेनिश फ्लू महामारी से एक साल पहले 1917 में बर्मा (अब म्यांमार) में जन्मी, पद्मावती World War II के दौरान 1942 में भारत आई थी। फर्स्टपोस्ट ने बताया कि उसने रंगून मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और उच्च शिक्षा के लिए विदेश गई। डॉ पद्मावती ने 300 से अधिक लेख लिखे हैं।
डॉ. पद्मावती भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट थीं। वह भारत की सबसे पुरानी कार्डियोलॉजिस्ट भी थीं, जो लगभग बहुत अंत तक एक्टिव रहीं।
उन्होंने एनएचआई की स्थापना की
महान हृदय रोग विशेषज्ञ ने अपना पूरा जीवन दवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें 1954 में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली में उत्तर भारत की पहली कार्डिएक कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला (cardiac catheterisation laboratory) स्थापित करने के लिए 'गॉडमदर ऑफ़ कार्डियोलॉजी' के नाम से जाना जाता था।भारत में कार्डियोलॉजी के विकास में उनके योगदान के लिए, उन्हें अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी, FAMS की फैलोशिप, 1967 में पद्म भूषण और 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
डॉ ओपी यादव, चीफ कार्डियक सर्जन और एनएचआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा “यहाँ तक कि अंतिम क्षण तक, वह बहुत शार्प थी और हमें उस समय शर्मिंदा कर देती थी जब हम किसी घटना को याद नहीं कर पाते थे लेकिन वह उन्हें याद होती थी। वह 93-94 साल की उम्र तक एक health enthusiast थीं, ”।
अपने अंतिम दिनों में, डॉ. पद्मावती दिल्ली में नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के संस्थापक निदेशक के रूप में काम कर रही थीं, टीओआई ने बताया। “उन्हें टेनिस खेलना बहुत पसंद था, जो उन्होंने कुछ समय पहले छोड़ दिया था।" यादव ने कहा कि उनकी शारीरिक क्षमता पिछले पांच वर्षों में रिस्ट्रिक्टेड हो गयी थी।
और पढ़िए : “मेरी मां मेरा सबसे बड़ा सहारा रही हैं” – इंडियन-ओरिजिन साइंटिस्ट डॉ. अमृता घाडगे