Three Shocking Revelations from Sakshi Malik's Memoir : भारतीय पहलवान साक्षी मलिक, जो अपनी ओलंपिक जीत के लिए जानी जाती हैं, ने अपनी आत्मकथा Witness में अपने जीवन और करियर के कुछ बेहद व्यक्तिगत और दुखद अनुभवों को साझा किया है। इन खुलासों में उन्होंने न सिर्फ शारीरिक शोषण का सामना किया, बल्कि पारिवारिक संघर्षों से भी जूझी, जो उनकी सफलता के पीछे की कठोर वास्तविकताओं को उजागर करते हैं।
साक्षी मलिक की किताब से तीन चौंकाने वाले खुलासे
1. 19 साल की उम्र में बृज भूषण द्वारा शोषण
साक्षी मलिक ने अपनी किताब में उस चौंकाने वाले वाकये का जिक्र किया है, जब वह 19 साल की थीं। 2012 में कज़ाकिस्तान में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष और पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह द्वारा अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने लिखा, "विजय के बाद, मुझे बृज भूषण के होटल के कमरे में ले जाया गया यह कहकर कि मेरे माता-पिता से बात कराई जाएगी। जब मैंने उनसे बात की, तो मुझे लगा कि शायद कुछ गलत नहीं होगा। लेकिन जैसे ही कॉल खत्म हुई, उन्होंने मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। मैंने उन्हें धक्का दिया और रोने लगी।"
बृज भूषण ने इस पर सफाई देने की कोशिश की, यह कहते हुए कि उन्होंने ‘पापा जैसे’ मुझे गले लगाया। लेकिन साक्षी को साफ पता था कि यह गलत था। उन्होंने वहां से भागकर खुद को इस अनुभव से बचाया।
2. बचपन में ट्यूशन टीचर द्वारा शोषण
साक्षी मलिक ने अपनी किताब में अपने बचपन के एक और दर्दनाक अनुभव का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि उनके ट्यूशन टीचर ने भी उनका शोषण किया था, जिससे वह लंबे समय तक आहत रहीं।
उन्होंने लिखा, "बचपन में भी मेरा शोषण हुआ था, लेकिन मैं बहुत समय तक अपने परिवार को नहीं बता पाई क्योंकि मुझे लगता था कि यह मेरी गलती है। मेरा ट्यूशन टीचर मुझे अजीब समय पर अपने घर बुलाता था और कभी-कभी मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश करता था। मैं ट्यूशन जाने से डरती थी, लेकिन कभी अपनी मां को यह बात नहीं बता पाई।"
3. आर्थिक कारणों से परिवार ने शादी का विरोध किया
ओलंपिक पदक जीतने के बाद साक्षी मलिक की ज़िन्दगी में कई बदलाव आए, लेकिन हर बदलाव सकारात्मक नहीं था। उनके परिवार ने लंबे समय से चले आ रहे साथी और पहलवान सत्यव्रत कादियान से उनकी शादी का कड़ा विरोध किया। इसका कारण जानकर साक्षी स्तब्ध रह गईं, क्योंकि यह आर्थिक रूप से प्रेरित था।
उन्होंने खुलासा किया कि उनके परिवार ने सोचा था कि उनकी ओलंपिक जीत के बाद मिलने वाले इनाम का सारा पैसा उनके ससुराल चला जाएगा। साक्षी ने पाया कि उनके बैंक खातों को साफ कर दिया गया था।
एक सीख और समाज पर प्रहार
इन खुलासों के जरिए साक्षी मलिक ने न केवल अपने अनुभवों को साझा किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे एक पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं पर नियंत्रण करता है। उन्होंने अपनी मासूमियत को एक सबक के रूप में प्रस्तुत किया, जो अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणादायक हो सकता है।
इन अनुभवों ने साक्षी को एक नई दिशा दी और उनकी आत्मकथा Witness उन संघर्षों और चुनौतियों का सजीव उदाहरण है, जिनसे कई भारतीय महिलाएं आज भी गुजरती हैं।