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राजस्थान स्कूल फीस: भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए एक फैसले के अनुसार, राजस्थान के प्राइवेट CBSE स्कूलों को पेरेंट्स से अब पूरी फीस लेने का अधिकार है।
इस फीस का भुगतान छह इंस्टॉलमेंट्स में किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी जिससे प्राइवेट CBSE स्कूलों को 70% ट्यूशन फीस जमा करने की अनुमति मिल गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ स्ट्रिक्ट रूल्स को भी मेंशन किया है, जो छात्रों को किसी भी अन्याय से बचाने के लिए स्कूलों द्वारा सख्ती से इम्प्लीमेंट होने चाहिए। बेंच ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि फीस के भुगतान के कारण कक्षा 10 और 12 की परीक्षा लिखने से किसी भी छात्र को रोका नहीं जा सकता है। यदि ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो बच्चे के माता-पिता या गार्डियन को वादा करना होगा कि फीस का भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा।
भले ही अकादमिक ईयर की फीस का भुगतान किश्तों में किया जा सके, लेकिन 2020-2021 की फीस ऐसी किसी भी मजबूरी से स्वतंत्र है।
राजस्थान राज्य को आगे प्राइवेट स्कूल्ज की यूनिट लागतों के संबंध में बचे हुए एरियर्स को समाप्त करने के लिए आर्डर दिए गए है, जो राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत एक महीने के अंदर अनिवार्य रूप से इकोनोमिकली वीकर सेक्शंस से संबंधित 25% छात्रों को पढ़ाने के लिए ऐसे विद्यालयों की फीस को कवर करता है।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बाकी बेंच ने प्राइवेट सीबीएसई स्कूलों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई की, जिसमें केवल 18% फीस जमा करने के लिए हाई कोर्ट के 18 दिसंबर, 2020 के फैसले को चुनौती दी गई।
इस फीस का भुगतान छह इंस्टॉलमेंट्स में किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी जिससे प्राइवेट CBSE स्कूलों को 70% ट्यूशन फीस जमा करने की अनुमति मिल गई थी।
बेंच ने क्लियर किया कि प्राइवेट CBSE स्कूल अकादमिक ईयर 2019-2020 के लिए पूरी फीस लेने के हकदार हैं। फीस कलेक्शन की शुरुआत 5 मार्च, 2021 से शुरू होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ स्ट्रिक्ट रूल्स को भी मेंशन किया है, जो छात्रों को किसी भी अन्याय से बचाने के लिए स्कूलों द्वारा सख्ती से इम्प्लीमेंट होने चाहिए। बेंच ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि फीस के भुगतान के कारण कक्षा 10 और 12 की परीक्षा लिखने से किसी भी छात्र को रोका नहीं जा सकता है। यदि ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो बच्चे के माता-पिता या गार्डियन को वादा करना होगा कि फीस का भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा।
अदालत ने यह भी घोषणा की कि यह निर्णय बदल सकता है क्योंकि यह एक इंटरिम अरेंजमेंट है। और अगली सुनवाई के बाद अंतिम आदेश पास किए जाएंगे।
भले ही अकादमिक ईयर की फीस का भुगतान किश्तों में किया जा सके, लेकिन 2020-2021 की फीस ऐसी किसी भी मजबूरी से स्वतंत्र है।
राजस्थान राज्य को आगे प्राइवेट स्कूल्ज की यूनिट लागतों के संबंध में बचे हुए एरियर्स को समाप्त करने के लिए आर्डर दिए गए है, जो राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत एक महीने के अंदर अनिवार्य रूप से इकोनोमिकली वीकर सेक्शंस से संबंधित 25% छात्रों को पढ़ाने के लिए ऐसे विद्यालयों की फीस को कवर करता है।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बाकी बेंच ने प्राइवेट सीबीएसई स्कूलों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई की, जिसमें केवल 18% फीस जमा करने के लिए हाई कोर्ट के 18 दिसंबर, 2020 के फैसले को चुनौती दी गई।