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यौन अपराध सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन्स
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते समय निचली अदालतों के लिए गाइडलाइन्स का एक सेट जारी किया है। अदालत 9 महिला वकीलों की पेटिशन पर सुनवाई कर रहा था ,जिसमे उन महिला वकीलों ने कहा था कि " ये शिकायतकर्ता के डर और दुख को और बढ़ाने वाला बर्ताव है। "
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन में जजों और वकील को मर्यादा बना कर सही फैसला करने का आदेश दिया गया है , और यह भी आदेश दिया कि ऐसे मामलों में पुरानी सोच (stereotypes) से बचा जाना चाहिए।
यौन अपराध सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन्स
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते समय निचली अदालतों के लिए गाइडलाइन्स का एक सेट जारी किया है। अदालत 9 महिला वकीलों की पेटिशन पर सुनवाई कर रहा था ,जिसमे उन महिला वकीलों ने कहा था कि " ये शिकायतकर्ता के डर और दुख को और बढ़ाने वाला बर्ताव है। "
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन में जजों और वकील को मर्यादा बना कर सही फैसला करने का आदेश दिया गया है , और यह भी आदेश दिया कि ऐसे मामलों में पुरानी सोच (stereotypes) से बचा जाना चाहिए।
यौन अपराध मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सात गाइडलाइन्स :
- जमानत के लिए आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच का संपर्क या सामने आने की ज़रूरत नहीं है । जमानत देने की शर्तों में शिकायतकर्ता को आगे के लिए harassment से बचाने की कोशिश करनी चाहिए।
- यदि अदालत को लगता है कि आरोपी को ज़मानत देने से शिकायतकर्ता को खतरा हो सकता है, तो पुलिस द्वारा आरोपी को उचित आदेश दिया जाना चाहिए और शिकायतकर्ता की सुरक्षा करानी चाहिए। इसके अलावा, आरोपी को बताना चाहिए कि वह पीड़ित के साथ कोई संपर्क न करे।
- यदि जमानत दी जाती है, तो शिकायतकर्ता को इस बारे में सूचित करना चाहिए। जमानत आदेश की एक कॉपी शिकायतकर्ता को दो दिनों के अंदर दी जानी चाहिए।
- ज़मानत या ऑर्डर, समाज में महिलाओं को लेकर stereotypical और patriarchal सोच पर आधारित नहीं होना चाहिए। शिकायतकर्ता के कपड़ों, व्यवहार, पिछले "आचरण" या "मॉरल्स" के बारे में चर्चा फैसले में दर्ज नहीं होनी चाहिए।
- अदालत को शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच कोई "समझौता" नहीं कराना चाहिए। शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच विवाह या अनिवार्य समझौता करने का सुझाव देना अदालत की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
- यह अनिवार्य है कि जज विनम्र बर्ताव करे और इस बात को सुनिश्चित करे कि कार्यवाही के दौरान शिकायतकर्ता को किसी बात का डर या घबराहट न हो।
- जजों को ऐसे किसी भी शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए जो अदालत की निष्पक्षता और व्यक्ति को कमजोर करे।
यौन अपराध सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन्स