सिडनी यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट काउंसिल की बैठक में यौन हिंसा रिपोर्ट को लेकर असंवेदनशील और अपमानजनक व्यवहार ने सभी को स्तब्ध कर दिया। इस बैठक के दौरान, जब महिला अधिकारियों ने विश्वविद्यालय के रेजिडेंशियल कॉलेजों में होने वाली यौन हिंसा और बुलीइंग पर चर्चा की, तब कुछ छात्रों ने इस गंभीर रिपोर्ट को फाड़ दिया और मजाक उड़ाया। यह घटना सोशल मीडिया पर लाइव-स्ट्रीम हुई और व्यापक आक्रोश का कारण बनी।
सिडनी यूनिवर्सिटी: यौन हिंसा रिपोर्ट के अपमान पर मचा बवाल
'रेड ज़ोन रिपोर्ट' का महत्व
2018 में प्रकाशित रेड ज़ोन रिपोर्ट ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में यौन हिंसा और खतरनाक परंपराओं का गहराई से विश्लेषण करती है। इसमें पीड़ितों की गवाही, पुलिस रिपोर्ट और साक्ष्य शामिल हैं, जो यह साबित करते हैं कि कैसे विश्वविद्यालयों के रेजिडेंशियल कॉलेजों में यह विषाक्त संस्कृति पनप रही है। बावजूद इसके, इस रिपोर्ट को लगातार अस्वीकार किया जाता रहा है, जैसा कि इस बैठक में भी देखा गया।
बढ़ता आक्रोश
इस घटना ने विश्वविद्यालय समुदाय और यौन हिंसा पीड़ितों के समर्थन में खड़े संगठनों को गुस्से से भर दिया। इसे सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि व्यापक समस्या का प्रतीक माना जा रहा है – एक ऐसी प्रणाली जो जिम्मेदारी और सुधार की दिशा में काम करने से बचती है।
विश्वविद्यालय का रुख: जांच और जवाबदेही
घटना के बाद सिडनी यूनिवर्सिटी ने इस पर जांच शुरू की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि वे एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि केवल नीतियों को लागू करना पर्याप्त नहीं है; इसके लिए सांस्कृतिक परिवर्तन की आवश्यकता है।
सुधार की मांग
छात्र और एडवोकेसी ग्रुप्स ने रेजिडेंशियल कॉलेजों में सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ सहमति प्रशिक्षण और नेतृत्व में बदलाव काफी नहीं हैं। उन्होंने कड़े कानून और प्रणालीगत बदलावों की वकालत की, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
बदलाव की लड़ाई
यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि समावेशिता, सम्मान और सुरक्षा की दिशा में यात्रा कठिन है, लेकिन यह लड़ाई लड़ना आवश्यक है। यौन हिंसा और उससे जुड़े मुद्दों पर समाज में जागरूकता और कार्रवाई की सख्त जरूरत है।