Shruti Vora Becomes 1st Indian To Win 3-Star Grand Prix: भारतीय घुड़सवारी खेलों में श्रुति वोरा ने इतिहास रच दिया है। वोरा अपने घोड़े मैग्निफिकस के साथ लिपिका, स्लोवेनिया में आयोजित FEI ड्रेसेज वर्ल्ड कप में विजयी रहीं। इस तकनीकी रूप से जटिल स्पर्धा में उन्होंने 67.761% अंक हासिल किए।
श्रुति वोरा ने रचा इतिहास, बनीं 3-स्टार Grand Prix जीतने वाली पहली भारतीय घुड़सवार
3-स्टार Grand Prix का महत्व
वोरा की उपलब्धि के महत्व को समझने के लिए, यह जानना जरूरी है कि तीन-स्टार ग्रां प्री या सीडीआई-3, घुड़सवारी खेलों में एक कठिन स्पर्धा मानी जाती है। ड्रेसेज में रेटिंग पांच सितारों तक होती है, जिसमें पांच-स्टार सबसे कठिन होता है। वोरा की यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय घुड़सवारी खेलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है।
प्रतियोगिता में वोरा ने मोल्दोवा की तातियाना एंटोनेंको (आचेन के साथ 66.522% अंक) और ऑस्ट्रिया की जूलियन जेरीच (क्वार्टर गर्ल के साथ 66.087% अंक) को पछाड़ा। मई में गहन प्रशिक्षण के लिए यूरोप जाने के बाद से वोरा और मैग्निफिकस की प्रगति को दर्शाती है।
ओलंपिक सपने की ओर
वोरा ने कहा, "यह मेरे करियर का एक बड़ा क्षण है और मेरे ओलंपिक सपने को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" 24 जून को क्वालीफिकेशन विंडो बंद होने से पहले वह दो और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी लय बनाए रखना चाहती हैं। हाल के प्रदर्शनों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, जिनमें उन्होंने उल्लेखनीय सुधार पाया है।
अनुष अगरवाल, जिन्होंने पहले ही तीन एमईआर हासिल कर लिए हैं, एक मजबूत दावेदार बने हुए हैं। हालांकि, उनके सभी क्वालीफाइंग स्कोर पिछले साल हासिल किए गए थे। इसके विपरीत, वोरा हाल के प्रदर्शन के महत्व पर जोर देती हैं और उनका मानना है कि भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) को ओलंपिक दावेदार का चयन करते समय मौजूदा प्रदर्शन पर विचार करना चाहिए।
प्रशिक्षण और तैयारी
जर्मनी में रहकर वोरा लंदन ओलंपिक की रजत पदक विजेता हेलेन लैंगहैनबर्ग और अपने दीर्घकालिक कोच जितेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेती हैं। उनकी प्रशिक्षण शैली और मैग्निफिकस के साथ उनका बंधन उनकी तीव्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वोरा का मानना है कि और अधिक समय के साथ, वे लगातार 72% -73% रेंज में स्कोर हासिल कर सकती हैं, जो उन्हें यूरोपीय शीर्ष राइडर्स के समकक्ष बना देगा।
व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्रा
घुड़सवारी खेलों में श्रुति वोरा का सफर कम उम्र में ही शुरू हो गया था। कोलकाता में जन्मीं, उन्हें घुड़सवारी की शुरुआत उनकी माँ ने करवाई थी। बल्लीगंज में आर्मी राइडिंग स्कूल में उनके शुरुआती प्रशिक्षण ने उनके भविष्य की सफलता की नींव रखी। शादी के बाद 14 साल के अंतराल के बावजूद, वह 2009 में नए जोश के साथ खेल में वापस आईं। उनके पेशेवर सफर में उन्हें रेनर क्लिमके, ऐनी जेन्सेन-वैन ओल्स्ट और पैट्रिक ले रोलैंड जैसे प्रसिद्ध घुड़सवारों के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला।
उपलब्धियां और भविष्य की संभावनाएं
वोरा ने कई प्रतिष्ठित आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें 2022 में डेनमार्क में आयोजित FEI वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2014 में इंचियोन में हुए एशियाई खेल शामिल हैं। उनके हालिया प्रदर्शन भविष्य की सफलता का संकेत देते हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और भी अधिक सम्मान प्राप्त करने की क्षमता है।
लिपिका प्रतियोगिता में श्रुति वोरा की ऐतिहासिक जीत भारतीय घुड़सवारी खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनके समर्पण, कौशल और रणनीतिक प्रशिक्षण ने उन्हें पेरिस ओलंपिक में भाग लेने के सपने के करीब ला दिया है। निरंतर प्रतिस्पर्धा और सुधार के साथ, वोरा वैश्विक मंच पर भारतीय राइडर्स की बढ़ती सफलता का प्रतीक हैं, जो आने वाली पीढ़ी के घुड़सवारों को प्रेरित करती हैं।