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MP Vaccination Horror: 30 बच्चों को एक ही सिरिंज से टीका लगाया गया

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Monika Pundir
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मध्य प्रदेश के सागर में चिकित्सा लापरवाही के एक भयानक मामले में, एक प्रतिष्ठित स्कूल के लगभग तीस छात्रों को बुधवार को केवल एक ही सिरिंज का उपयोग करके COVID-19 वैक्सीन दी गई। 

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जैन पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल में, स्थापित 'वन नीडल-वन सिरिंज-ओनली वन टाइम' प्रोटोकॉल का सरासर उल्लंघन हुआ। बच्चों को वैक्सीन लगाने वाले का नाम जितेंद्र राई है। 

घटना का पता तब चला जब माता-पिता में से एक दिनेश नामदेव ने इस विसंगति को देखा और सवाल पूछना शुरू किया। 

नौवीं कक्षा की एक छात्रा के पिता, नामदेव, ने बच्चों का टीकाकरण करने वाले व्यक्ति से पूछताछ की और पूछा कि उसके द्वारा बच्चों का टीकाकरण करने के लिए कितनी सिरिंज का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

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वे उस समय शॉक में रह गया जब वैक्सीन लगाने वाले ने उसे बताया कि कम से कम 30-40 बच्चों को सिर्फ एक सिरिंज से टीका लगाया गया है। 

“अगर हमारे बच्चों को इस सिंगल सिरिंज के गलत उपयोग से कोई स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होती हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या यह स्कूल या स्वास्थ्य विभाग होगा, जो हमारे बच्चों के साथ कुछ भी गलत होने पर जिम्मेदारी लेगा” नामदेव ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया। 

वैक्सीन लगाने वाले का स्टेटमेंट:

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जितेंद्र ने कहा कि उन्हें "विभाग के प्रमुख" द्वारा सभी बच्चों को एक ही सिरिंज से टीका लगाने का आदेश दिया गया था। 

चिंतित माता-पिता द्वारा मौके पर रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में जितेंद्र को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "जिस व्यक्ति ने मटेरियलस की डिलीवरी की, उसने केवल एक सिरिंज दी।" हालांकि, उसने कहा कि वह उसका नाम नहीं जानता। 

जब NDTV ने जितेंद्र से पूछा कि क्या उन्हें पता है कि एक सिरिंज का इस्तेमाल एक से अधिक लोगों को इंजेक्शन लगाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, जितेंद्र ने NDTV को बताया, "मैं यह जानता हूं। यही वजह है कि मैंने उनसे पूछा कि क्या मुझे सिर्फ एक सिरिंज का इस्तेमाल करना है और उन्होंने 'हां' कहा। यह मेरी गलती कैसे है? मैंने वही किया जो मुझे करने के लिए कहा गया था।" 

जितेंद्र के खिलाफ लापरवाही और केंद्र सरकार की "एक सुई, एक सिरिंज, एक बार" प्रतिज्ञा का खुले तौर पर उल्लंघन करने के लिए FIR दर्ज की गई है। 

उस सुबह टीका व अन्य आवश्यक सामग्री भेजने के प्रभारी जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ राकेश मोहन के खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

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