KIIT Suicide Row: नेपाली छात्रा की आत्महत्या के बाद विरोध प्रदर्शन, स्टाफ के विवादित बयान पर मचा बवाल

नेपाली छात्रा की आत्महत्या के बाद प्रदर्शन तेज, छात्रों के निष्कासन के आरोप और स्टाफ के विवादित बयान से मचा हंगामा। जानें गिरफ्तारी, छात्रों की मांगें और प्रशासन की प्रतिक्रिया।

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Vaishali Garg
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Staff Apologise To Nepali Students After Allegedly Evicting Them

कलींगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT), भुवनेश्वर में पढ़ रही एक नेपाली छात्रा की आत्महत्या के बाद विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि जब नेपाली छात्रों ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो उन्हें जबरन कैंपस से निकाल दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में संस्थान के कुछ कर्मचारियों को छात्रों को धमकाते और अपमानजनक टिप्पणियां करते हुए सुना गया, जिसके बाद भारी विरोध के चलते दोनों प्रोफेसरों को माफी मांगनी पड़ी।

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नेपाली छात्रा की आत्महत्या के बाद विरोध प्रदर्शन, स्टाफ के विवादित बयान पर मचा बवाल

छात्रा की आत्महत्या और विरोध प्रदर्शन

16 फरवरी 2025 को KIIT की एक नेपाली छात्रा ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। यह छात्रा बी.टेक (कंप्यूटर साइंस) के तीसरे वर्ष में पढ़ रही थी और उसकी उम्र महज 20 साल थी। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, उसने पहले ही अपने सहपाठी अद्विक श्रीवास्तव द्वारा परेशान किए जाने की शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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घटना के बाद छात्रों ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। इस बीच, यह भी आरोप लगे कि हॉस्टल वार्डन ने पुलिस के आने से पहले ही छात्रा के शव को अपने कब्जे में ले लिया और बिना परिवार की अनुमति के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए कलींगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (KIMS) भेज दिया गया।

पुलिस ने 17 फरवरी को लखनऊ से अद्विक श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा KIIT के तीन अधिकारियों - शिवानंद मिश्रा (HR निदेशक), प्रताप कुमार चंपुपति (प्रशासनिक निदेशक), और सुधीर कुमार रथ (हॉस्टल निदेशक) को भी गिरफ्तार किया गया। दो सुरक्षाकर्मी रामकांत नायक और जोगेंद्र बेहेरा को भी हिरासत में लिया गया है।

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नेपाली छात्रों को जबरन निकालने का आरोप

छात्रा की मौत के बाद नेपाली छात्रों ने कैंपस में प्रदर्शन किया और इंसाफ की मांग की। इसके जवाब में, KIIT प्रशासन ने कथित तौर पर सभी नेपाली छात्रों को कैंपस खाली करने का आदेश दिया और अनिश्चितकालीन ब्रेक घोषित कर दिया। हालांकि, बाद में संस्थान ने छात्रों से वापस लौटने और कक्षाएं फिर से शुरू करने का अनुरोध किया।

इस घटना को लेकर भारत और नेपाल के बीच राजनयिक स्तर पर भी चर्चा हो रही है। भारतीय दूतावास ने नेपाली छात्रों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है, जबकि ओडिशा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय टीम गठित की है, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) कर रहे हैं।

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KIIT स्टाफ के विवादित बयान और माफी

घटना के बाद वायरल वीडियो में KIIT की दो प्रोफेसर - मंजूषा पांडेय और जयंती नाथ - नेपाली छात्रों को अपमानजनक बातें कहते हुए दिखीं।

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मंजूषा पांडेय ने कहा, "हम 40,000 से ज्यादा छात्रों को मुफ्त में खाना और शिक्षा दे रहे हैं।”

जयंती नाथ ने यह तक कह दिया, “यह तुम्हारे देश के पूरे बजट के बराबर है।”

यह वीडियो वायरल होते ही भारी आलोचना हुई, जिसके बाद दोनों ने सोशल मीडिया पर माफी मांगते हुए एक वीडियो पोस्ट किया।

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मंजूषा पांडेय ने सफाई देते हुए कहा,“जो भी बयान मैंने दिए, वे मेरे निजी विचार थे और KIIT यूनिवर्सिटी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यदि मेरे शब्दों से किसी भी नेपाली छात्र या नेपाल के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं इसके लिए दिल से माफी मांगती हूं।”

जयंती नाथ ने कहा,“मुझे बेहद अफसोस है कि मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची। यह बयान KIIT या किसी भी फैकल्टी का आधिकारिक विचार नहीं था।”

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दोनों प्रोफेसरों ने नेपाल के प्रधानमंत्री, भारत के विदेश मंत्रालय, केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर, और भारतीय दूतावास (काठमांडू) को भी टैग किया।

KIIT का आधिकारिक बयान

KIIT प्रशासन ने दो अधिकारियों को सेवा से हटा दिया है और एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा:

“KIIT हमेशा से दुनिया भर के छात्रों का घर रहा है और यहां समावेशिता, सम्मान और देखभाल की संस्कृति है। हमें इस घटना पर गहरा खेद है और हम सभी छात्रों, खासतौर पर हमारे नेपाली छात्रों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

यह घटना अब न केवल भारत और नेपाल के छात्रों के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में आ गई है। छात्रों की सुरक्षा और उनके अधिकारों से जुड़े इस मामले में आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।