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परीक्षा के दबाव में 'एंटी-स्लीप' गोलियां खाकर खून का थक्का, छात्रा का हुआ ब्रेन ऑपरेशन!

लखनऊ की एक 10वीं कक्षा की छात्रा को परीक्षा के दबाव के कारण "एंटी-स्लीप" गोलियों का ओवरडोज लेने से खून का थक्का जम गया और उसे ब्रेन सर्जरी करानी पड़ी।

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Vaishali Garg
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Student Undergoes Brain Surgery After Consuming "Anti-Sleep" Pills During Exams : लखनऊ की एक 10वीं कक्षा की छात्रा को परीक्षा के दबाव के कारण "एंटी-स्लीप" गोलियों का ओवरडोज लेने से खून का थक्का जम गया और उसे ब्रेन सर्जरी करानी पड़ी। इस घटना ने छात्रों पर बढ़ते परीक्षा के दबाव और अच्छे अंकों के लिए स्वास्थ्य को दांव पर लगाने के खतरों पर चिंता जताई है।

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परीक्षा के दबाव में 'एंटी-स्लीप' गोलियां खाकर खून का थक्का, छात्रा का हुआ ब्रेन ऑपरेशन!

अनियंत्रित गोलियों का ओवरडोज बना खतरा

छात्रा ने कथित तौर पर लंबे समय तक पढ़ाई करने के लिए अधिक मात्रा में इन अनियंत्रित गोलियों का सेवन किया। इससे खून का थक्का जम गया और सर्जरी करानी पड़ी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसका उस पर कोई स्थायी प्रभाव पड़ा है या नहीं।

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अन्य रिपोर्ट्स में छात्रों की बदहाली की कहानी

ANI की रिपोर्टों के अनुसार, सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के दौरान कई छात्र रात भर जागने के लिए एंटी-स्लीप दवाओं का सहारा ले रहे हैं, जिससे उनकी नींद का चक्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह अस्वस्थ जीवनशैली उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है और इन दवाओं की बिक्री और उपयोग को लेकर सवाल उठा रही है।

मामले में खुलासा

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उक्त छात्रा अपने बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए रात भर जागती रहती थी और उसकी माँ उसे जगाए रखने के लिए कॉफी पिलाती थी। एक रात, पूरी रात पढ़ने के बाद, वह बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया। जांच में उसके दिमाग में खून का थक्का पाया गया। उसके बाद उसके माता-पिता को उसके द्वारा ली जा रही "एंटी-स्लीप" गोलियों का पता चला, जिन्हें उन्होंने डॉक्टरों को सौंप दिया। माता-पिता ने बताया कि उन्हें बेटी द्वारा दवा लेने और उसके दबाव के बारे में जानकारी नहीं थी।

विशेषज्ञों की चेतावनी

पश्चिम बंगाल की एक वरिष्ठ सर्जन डॉ. स्नेहा शाह ने shethepeople को बताया कि ये गोलियां भविष्य में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल कुछ खास बीमारियों के इलाज के लिए ही किया जाता है और ये दिमाग के लिए हानिकारक हैं।

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चर्चा की जरूरत

प्रजक्ता का मामला भारत में छात्रों पर बोर्ड परीक्षा जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के दौरान पड़ने वाले भारी दबाव को उजागर करता है। जबरदस्त प्रतिस्पर्धा और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण कुछ छात्र अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए अस्वस्थ और खतरनाक तरीकों का सहारा लेते हैं।

प्रजक्ता की कहानी एक चेतावनी है। हमें सामूहिक रूप से परीक्षा के दबाव के मूल कारणों को संबोधित करके, स्वस्थ तनाव प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देकर और एक सहायक और सहानुभूतिपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देकर छात्रों की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में काम

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