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Photograph: (fssai_safefood/Instagram )
Sujata Chaturvedi Appointed as UPSC member: भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी सुजाता चतुर्वेदी को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फेरबदल के तहत संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का सदस्य नियुक्त किया गया है। बिहार कैडर की 1989 बैच की अधिकारी चतुर्वेदी ने हाल ही में युवा मामले और खेल मंत्रालय में सचिव के रूप में अपनी सेवाएं समाप्त की हैं। प्रशासनिक अनुभव, नीति निर्माण और जमीनी कार्यान्वयन में दक्षता को देखते हुए यह नियुक्ति न केवल उनके लिए बल्कि आयोग के लिए भी एक रणनीतिक कदम मानी जा रही है।
Sujata Chaturvedi बनीं UPSC सदस्य, खेल सचिव के रूप में पूरा किया कार्यकाल
Hindustan Herald की खबर के अनुसार सुजाता चतुर्वेदी की यह नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 316(1) के अंतर्गत की गई है, जिसकी औपचारिक घोषणा 30 अप्रैल 2025 को की गई। उनके कार्यकाल की शुरुआत पदभार ग्रहण करने के साथ ही होगी और यह अनुच्छेद 316(2) तथा यूपीएससी (सदस्य) विनियम, 1969 के अनुसार विनियमित होगा। यह परिवर्तन न केवल उनके करियर में एक नया अध्याय है, बल्कि एक अनुभवी प्रशासक को देश की सर्वोच्च भर्ती संस्था में शामिल करने का संकेत भी देता है।
खेल मंत्रालय में सक्रिय योगदान
UPSC में नियुक्ति से पूर्व चतुर्वेदी ने खेल सचिव के रूप में देश के खेल ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में कई नीतिगत पहलों का नेतृत्व किया। उन्होंने जमीनी स्तर पर खेलों में भागीदारी बढ़ाने, एथलीटों के लिए समर्थन तंत्र को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयारियों को व्यवस्थित करने का कार्य किया। अक्टूबर 2024 में उन्हें भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था, जिससे उनके नेतृत्व की क्षमता और विस्तार सामने आया।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि और अनुभव
सुजाता चतुर्वेदी का प्रशासनिक अनुभव बेहद विविध और व्यापक रहा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों में अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है, जिससे उन्हें सार्वजनिक नीति, शासन और अंतर-मंत्रालयी समन्वय में गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई है। यह अनुभव अब UPSC जैसे संवैधानिक निकाय की नीति निर्माण और निर्णय प्रक्रिया को मजबूती देगा।
UPSC में योगदान की संभावनाएं
चतुर्वेदी की नियुक्ति को UPSC की गुणवत्ता और निष्पक्षता को और सुदृढ़ करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उनकी विशेषज्ञता भर्ती मानकों को विकसित करने, निष्पक्ष चयन प्रक्रियाएं सुनिश्चित करने और प्रशासनिक सेवाओं की अगली पीढ़ी को तैयार करने में सहायक होगी। यह नियुक्ति यह भी दर्शाती है कि देश की संवैधानिक संस्थाओं का नेतृत्व अब प्रशासनिक अनुभव से समृद्ध पेशेवरों को सौंपा जा रहा है, जो नीति और सेवा दोनों को बेहतर दिशा दे सकते हैं।