सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बहुत ही एहम और अच्छा फैसला सुनाया है। इन्होंने सभी पुलिस ऑफिसर्स को कहा कि अगर सेक्स एक सेक्स वर्कर की मर्जी से होता है तो आप दखलंदाज़ी न करें। सुप्रीम कोर्ट का मन्ना है कि एक सेक्स वर्कर को भी बराबर अधिकार और इज़्ज़त का हक़ होता है। इस न्यूज़ से सेक्स वर्कर के बीच हर्ष और उल्लास की लहर आयी है।
इस केस की सुनवाई के दौरान पैनल में जस्टिस L नागेश्वर राव, BR गवई और AS बोपन्ना मौजूद थे। इन्होंने इस केस से जुड़े सभी जरुरी फैसले सुनाएं। इन्होंने कहा यह सारे फैसले इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट 1956 को ध्यान में रखकर लिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर के लिए इन फैसलों को लिए हैं -
1 कोर्ट के मुताबित एक सेक्स वर्कर को भी बर्बर इज़्ज़त का अधिकार होता है। इसके अलावा इनको लॉ का भी अधिकार कि इनको सुरक्षा दी जाए। कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 21 के हिसाब से हर एक नागरिक को अधिकार है कि गरिमामय अस्तित्व दिया जाए चाहे उसका प्रोफेशन कुछ भी क्यों न हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि रैड के वक़्त किसी भी सेक्स वर्कर को जेल, सज़ा, परेशान और सताया न जाए। मंजूरी से सेक्स वर्कर का काम करना इललीगल नहीं है सिर्फ वेश्यालय चलाना है।
कोर्ट ने कहा कि एक सेक्स वर्कर के बच्चे को उसकी माँ से अलग नहीं करना चाहिए इस बेसिस पर कि उसकी माँ सेक्स वर्कर है। कोर्ट ने कहा “basic protection of human decency and dignity extends to sex workers and their children.”
कोर्ट ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि पुलिस का व्यव्हार सेक्स वर्कर के प्रति ख़राब ही रहता है। एक सेक्स वर्कर के साथ बुरा व्यव्हार नहीं करना चाहिए और उनकी कम्प्लेन को भी सीरियस लेना चाहिए।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर के केस के बारे में रिपोर्ट करते वक़्त मीडिया को बहुत ध्यान रखना चाहिए और उनकी आइडेंटिटी बाहर न आये इसका ध्यान रखना चाहिए।
जस्टिस राव ने कहा कि किसी भी प्राधिकारी को सेक्स वर्कर को शेल्टर में रहने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। अब अगली सुनवाई के वक़्त 27 जुलाई कोर्ट ने इन सब मामले में सेण्टर को अपना फैसला सुनाने को कहा है।