![Tabla Maestro Zakir Hussain No More](https://img-cdn.thepublive.com/fit-in/1280x960/filters:format(webp)/hindi/media/media_files/2024/12/16/OM2hCGP6ex63oAvQhgRs.png)
दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम लहराने वाले महान तबला वादक जाकिर हुसैन का 15 दिसंबर को सैन फ्रांसिस्को में दिल की समस्याओं के चलते निधन हो गया। 73 वर्ष की आयु में इस महान कलाकार ने अपनी अंतिम सांस ली। उनकी बहन खुरशीद औलिया ने बताया कि वे काफी शांति से विदा हुए, जब उनका वेंटिलेशन मशीन बंद किया गया।
तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन: जानें उनके परिवार और विरासत के बारे में
एक महान संगीतकार का सफर
9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन, प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे। सात वर्ष की आयु से तबला बजाना शुरू करने वाले हुसैन ने छह दशकों के अपने करियर में अनगिनत भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ प्रस्तुति दी।
वे पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे भारतीय संगीतकारों के साथ तो जुड़े ही, साथ ही यो-यो मा, चार्ल्स लॉयड, बेला फ्लेक और मिकी हार्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ भी उन्होंने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहुँचाया।
सम्मान और उपलब्धियां
जाकिर हुसैन को चार बार ग्रैमी पुरस्कार मिला, जिनमें से तीन पुरस्कार इसी वर्ष मिले। उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। उनकी जीवनी ‘जाकिर हुसैन: ए लाइफ इन म्यूजिक’ 2018 में प्रकाशित हुई थी।
जाकिर हुसैन का परिवार
उनकी पत्नी एंटोनिया मिन्नेकोला एक इतालवी-अमेरिकी कथक नृत्यांगना और शिक्षिका हैं। वे जाकिर हुसैन की प्रबंधक भी थीं। दोनों की मुलाकात 1970 के दशक में कैलिफोर्निया में हुई थी, जब एंटोनिया कथक का प्रशिक्षण ले रही थीं। उनकी दो बेटियां हैं - अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी।
बेटियों की उपलब्धियां
अनीसा कुरैशी एक फिल्ममेकर हैं, जिन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलेस से पढ़ाई की है। उनके कुछ प्रोजेक्ट्स में 3:10 टू युमा (2007), मिस्टर वुडकॉक (2007) और जस्ट लाइक हेवन (2005) शामिल हैं। उनकी छोटी बेटी, इसाबेला कुरैशी, मैनहटन में नृत्य का अध्ययन कर रही हैं।
संगीत की विरासत
जाकिर हुसैन का जाना भारतीय संगीत और कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी कला और योगदान को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। उनके परिवार और प्रशंसकों के लिए वे एक प्रेरणा और गौरव का प्रतीक थे।