इन्होंने इसके लिए एक प्ली भेजी थी जिस में लिखा था कि ताज महल के 22 कमरे खोलें जाएँ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा जांच कराई जाये की सच क्या है। क्या सच में यह जमीन पहले हिन्दू के शिव भगवान की थी।
अलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में क्या कहा है?
अलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस DK उपाध्याय और सुभाष विद्यार्थी ने कहा कि यह पेटिशन मेन्टेन नहीं की जा सकती है। प्ली न मंजूर करते हुए कोर्ट का कहना है कि ऐसे मामले कोर्ट के हाँथ में नहीं होते हैं और इन में एक्सपर्टीज़ की जरुरत होती है। पिटीशनर का कहना था कि इस चार मंजिल ईमारत के कमरे खोलकर यह पता लगाया जाये कि क्या सच में इनके अंदर हिन्दू भगवान के कुछ नाम और निशान हैं।
कोर्ट का कहना है कि यह मामला रिसरचर्स और शिक्षाविद लोगों के अंतर्गत आता है। ऐसे मामले में फैसला कोर्ट नहीं दे सकता है। दिल्ली के एक लॉयर रूद्र विक्रम सिंह ने पिटीशनर रजनीश सिंह के लिए केस लड़ा था और दिल्ली स्टेट गवेर्नमेंट ने मामले में कुछ भी करने से खुद को पीछे रखा था।
रजनीश सिंह ने कहा कि एस्ट्रोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा स्पेशल कमीटी बनाकर इस बात का पता लगाना चाइये। रजनीश सिंह ने यह भी कहा कि हम यहाँ राम मंदिर बनाने के नहीं कह रहे हैं लेकिन सच सबके सामने आना जरुरी है।
2017 में बीजेपी MP विनय कटियार ने उत्तरप्रदेश CM से डिमांड की थी कि ताज महल का नाम बदलकर तेजोमहल रखा जाए।1965 में एक PN ओक नाम के इतिहासकार ने इनकी किताब में लिखा था कि ताज महल से पहल यहाँ शिव मंदिर हुआ करता था।
ताज महल के मामले के लेकर राजकुमारी दिया कुमारी भी आजकल न्यूज़ में हैं। इनका कहना है कि ताज महल इनके परिवार की ज़मीन पर बनाया गया है। इनके पास जयपुर रॉयल फैमिली का इस ज़मीन पर हक़ साबित करने के लिए डाक्यूमेंट्स भी हैं। दिया कुमारी जयपुर की रॉयल फैमिली से हैं और इससे पहले इन्होंने कहा था कि इनके परिवार के लोग भगवन राम के वंशज हैं।
इसके लिए भी इन्होंने कहा था कि इनके पास डॉक्यूमेंट है सुप्रीम कोर्ट को दिखने के लिए। इन्होंने ऐसा इसलिए कहा था ताकि भगवन राम के मंदिर बनने में आसानी हो सके।