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तालिबान की सोच महिलाओं को लेकर हमेशा दबा देने वाली रही है। तालिबान एक आतंवादी ग्रुप है जिन्होंने अफगानिस्तान में 20 साल बाद वापस कब्ज़ा कर दिया है। अफगानिस्तान में महिलाओं के सभी अधिकार रद्द कर दिए गए हैं और माहौल खतरनाक हो चुका है। तालिबान ने 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान में कब्ज़ा कर लिया था और तभी से यह वहां महिलाओं को दबा देने वाले नए नए कानून लेकर आ रहे हैं।
तालिबान ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाएं स्पॉट्स नहीं खेल सकती हैं। ऐसा करने के पीछे इन्होंने वजह बताई की स्पोर्ट्स खेलने से महिलाओं की बॉडी एक्सपोज़ होती है। तालिबान का ऐसा कहने के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इनके साथ मैच होस्ट करने से मना कर दिया था कहा है कि जब तक महिलाओं के उनके अधिकार नहीं मिलते वो यह मैच अफ़ग़ानिस्तान के साथ नहीं खेलेंगे।
पढाई को लेकर भी तालिबान की सोच कुछ इसी तरह है और महिलाएं और पुरुष के बीच कक्षा में बीच में पर्दा लगाया जा रहा है। महिलाएं सारी एक तरह बैठती हैं और पुरुष एक तरफ। सभी महिलाएं बुरखे में आती हैं फुल कपड़े पहन कर और बीच में पर्दा लगाया जा रहा है।
तालिबान ने सभी सैलून के बाहर लगे महिलाओं के पोस्टर बिगाड़ दिए थे और उनके ऊपर कालिक पोत दी थी। इनका कहना है कि महिलाओं को हमेशा परदे के अंदर ही रहना चाहिए और यह खुले आम बिना बुरखे के भी नहीं घूम सकती हैं। महिलाओं के खुले आम घूमने से लेकर वो क्या पहनती हैं, कैसे पड़ते हैं, और कैसे महिलाएं अपने आप रिप्रेजेंट करती हैं तालिबान सबके खिलाड़ खड़े रहते हैं।
इस बार तालिबान के स्पोक्सपर्सन ने एक इंटरव्यू में कहा कि महिलाएं मिनिस्टर नहीं बन सकती हैं और उन्हें सिर्फ बच्चों को जन्म देना चाहिए। ऐसे ही स्टेटमेंट यह आए दिन देते रहते हैं और इनकी पिछड़ी हुई दबाउ सोच दिखाते रहते हैं। महिलाएं क्या कर सकती हैं और क्या नहीं यह तालिबान खुद ही डिसाइड कर लेते हैं और फिर महिलाओं पर धोप देते हैं।
तालिबान जबसे आए हैं महिलाओं से जुड़े सभी डिसिशन यह खुद ही ले रहे हैं। यह इन पर दबाउ नए नए कानून लगाते रहते हैं। जब तालिबान आए थे तब सबसे पहले इन्होंने सरिया कानून लागु कर दिया था जिसका मतलब होता है कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के सभी अधिकार रद्द हो चुके हैं।
Afghanistan Women's Rights in Danger -
1. महिलाएं स्पोर्ट्स नहीं खेल सकती
तालिबान ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाएं स्पॉट्स नहीं खेल सकती हैं। ऐसा करने के पीछे इन्होंने वजह बताई की स्पोर्ट्स खेलने से महिलाओं की बॉडी एक्सपोज़ होती है। तालिबान का ऐसा कहने के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इनके साथ मैच होस्ट करने से मना कर दिया था कहा है कि जब तक महिलाओं के उनके अधिकार नहीं मिलते वो यह मैच अफ़ग़ानिस्तान के साथ नहीं खेलेंगे।
2. महिलाएं कॉलेज में पुरुष के साथ नहीं पढ़ सकती
पढाई को लेकर भी तालिबान की सोच कुछ इसी तरह है और महिलाएं और पुरुष के बीच कक्षा में बीच में पर्दा लगाया जा रहा है। महिलाएं सारी एक तरह बैठती हैं और पुरुष एक तरफ। सभी महिलाएं बुरखे में आती हैं फुल कपड़े पहन कर और बीच में पर्दा लगाया जा रहा है।
3. महिलाएं बिना बुरखे के नहीं रह सकती हैं
तालिबान ने सभी सैलून के बाहर लगे महिलाओं के पोस्टर बिगाड़ दिए थे और उनके ऊपर कालिक पोत दी थी। इनका कहना है कि महिलाओं को हमेशा परदे के अंदर ही रहना चाहिए और यह खुले आम बिना बुरखे के भी नहीं घूम सकती हैं। महिलाओं के खुले आम घूमने से लेकर वो क्या पहनती हैं, कैसे पड़ते हैं, और कैसे महिलाएं अपने आप रिप्रेजेंट करती हैं तालिबान सबके खिलाड़ खड़े रहते हैं।
4. महिलाएं मिनिस्टर नहीं बन सकती हैं
इस बार तालिबान के स्पोक्सपर्सन ने एक इंटरव्यू में कहा कि महिलाएं मिनिस्टर नहीं बन सकती हैं और उन्हें सिर्फ बच्चों को जन्म देना चाहिए। ऐसे ही स्टेटमेंट यह आए दिन देते रहते हैं और इनकी पिछड़ी हुई दबाउ सोच दिखाते रहते हैं। महिलाएं क्या कर सकती हैं और क्या नहीं यह तालिबान खुद ही डिसाइड कर लेते हैं और फिर महिलाओं पर धोप देते हैं।
5. महिलाएं के अधिकार नहीं हो सकते
तालिबान जबसे आए हैं महिलाओं से जुड़े सभी डिसिशन यह खुद ही ले रहे हैं। यह इन पर दबाउ नए नए कानून लगाते रहते हैं। जब तालिबान आए थे तब सबसे पहले इन्होंने सरिया कानून लागु कर दिया था जिसका मतलब होता है कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के सभी अधिकार रद्द हो चुके हैं।