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भारत की अनन्या प्रसाद ने इतिहास रचते हुए अटलांटिक महासागर को अकेले पार करने वाली पहली महिला का ख़िताब अपने नाम किया। इस 34 वर्षीय भारतीय मूल की रोवर ने 52 दिनों में 3,000 मील की लंबी यात्रा पूरी की और अपने साहसिक सफर के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और बच्चों की भलाई के लिए जागरूकता बढ़ाई।
अनन्या प्रसाद बनीं अटलांटिक महासागर को एकल रूप से पार करने वाली पहली महिला
कौन हैं अनन्या प्रसाद?
डेकन हैरल्ड के अनुसार बेंगलुरु की निवासी अनन्या प्रसाद, जो प्रसिद्ध कन्नड़ कवि जी एस शिवरुद्रप्पा की पोती हैं, छह साल की उम्र में यूके चली गईं। उन्होंने रोइंग को एक मजेदार एक्सरसाइज के रूप में शुरू किया, जो जल्द ही उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गया। अनन्या ने 'वर्ल्ड्स टफेस्ट रो' नामक एक सालाना प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें रोवर्स का सामना कठिन समुद्री परिस्थितियों से होता है। इस यात्रा की शुरुआत 11 दिसंबर 2024 को स्पेन के कैनरी आइलैंड्स से हुई थी और यह 31 जनवरी 2025 को एंटीगुआ, कैरेबियाई में समाप्त हुई।
साहसिक यात्रा की चुनौतियाँ
अनन्या की यात्रा बिल्कुल भी आसान नहीं थी। एक दिन उनके नाव का रडर टूट गया और उन्हें समुद्र में गहरी सैर करते हुए उसे सही करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने 20-नॉट की हवाओं का सामना किया और तकनीकी कौशल का इस्तेमाल कर उस हिस्से को बदलने में सफलता पाई। इसके बावजूद, अनन्या ने कभी अकेलापन महसूस नहीं किया। उनका कहना था, "मैं लगातार अपनी तकनीकी, मौसम और सोशल मीडिया टीम से संपर्क में थी, इसलिए मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं अकेली हूं।"
सामाजिक कार्य और योगदान
अनन्या ने इस कठिन यात्रा को सामाजिक उद्देश्य के लिए किया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और भारत में अनाथ बच्चों के समर्थन के लिए £150,000 से अधिक राशि जुटाई। उनका यह प्रयास न केवल उनके साहस का प्रतीक है, बल्कि यह भारत और विश्व स्तर पर महिलाओं के संघर्ष और सफलता की प्रेरणा भी है।
प्रशिक्षण और मानसिक मजबूती
इस यात्रा के लिए अनन्या ने तीन और आधे साल का कठिन प्रशिक्षण लिया, जिसमें शारीरिक फिटनेस के अलावा मानसिक मजबूती, रोइंग तकनीक, और सहनशक्ति बढ़ाने के कार्यशाला शामिल थे। अनन्या ने दिखा दिया कि एक मजबूत मानसिकता और कठिन प्रशिक्षण किसी भी चुनौती को पार करने के लिए जरूरी हैं।
समाप्ति और उपलब्धियाँ
31 जनवरी 2025 को अनन्या ने इस कठिन यात्रा को समाप्त किया, जो न केवल उनके व्यक्तिगत साहस का प्रतीक है, बल्कि उन्होंने महिलाओं के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। उनके इस प्रयास ने न केवल भारतीय समाज में, बल्कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं के लिए एक नई मिसाल कायम की है।
समाज के प्रति योगदान
अनन्या का यह साहसिक कार्य महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति उनके योगदान को बढ़ावा देने का एक मजबूत संकेत है। उनके इस सफर ने यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
अनन्या प्रसाद का अटलांटिक महासागर को अकेले पार करने का यह अद्वितीय प्रयास न केवल उनके व्यक्तिगत साहस और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण, मानसिक स्वास्थ्य, और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है। अनन्या ने यह सिद्ध कर दिया कि जब महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने का संकल्प लेती हैं, तो वे किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।