जैसा कि हम सभी जानते हैं सभी सरकारी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों द्वारा महिलाओं को प्रेगनेंसी के लिए मेटरनिटी लीव देना अनिवार्य है। यह महिलाओं के लिए एक अच्छा वर्कस्पेस बनाने में मदद करता है। इससे महिलाएं अपने काम और बच्चे दोनों को सही तरीके से संभाल पाती हैं। लेकिन हाल ही में टिकटॉक के सीनियर एग्जीक्यूटिव जोशुआ मा ने एक स्टेटमेंट दी है।
इस स्टेटमेंट में उन्होंने कहा एक कैपिटलिस्ट (पूंजीवादी) होने के नाते मैं एंप्लॉयस को मेटरनिटी लीव देने में विश्वास नहीं रखता। लंदन में स्थित टिक टॉक के ऑफिस में भारी मात्रा में काम करने वाले लोगों के इस्तीफे आ रहें हैं।
लोगों ने अपने इस्तीफे के कारणों मैं बताया कि उनकी वर्किंग कंडीशन और उनके ऑफिस का वातावरण बिल्कुल भी अच्छा और काम करने लायक नहीं है। साथ ही इसका दूसरा कारण जोशुआ मां के द्वारा मेटरनिटी लीव के विपक्ष में दी गई स्टेटमेंट भी है। इन सभी चीजों ने टिकटॉक के हेड ऑफिशियल को लंदन की ब्रांच में काम की बेहतर स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए मजबूर कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार जोशुआ ने टिप टॉप लंदन की एक स्टाफ डिनर में यह स्टेटमेंट दी थी। जिसके चलते काफी बड़ी संख्या में लोग बेकार वर्किंग कंडीशन और ऑफिस के वातावरण को देखते हुए इस्तीफे दे रहे हैं। कंपनी के एक प्रवक्ता ने दावा किया है कि कंपनी ने अपने स्टाफ को एक मेल भेजा है जिसमें लिखा है कि "हमारी जांच जारी है। अगर कंपनी की किसी भी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ होगा तो उसके खिलाफ कदम जरूर उठाया जाएगा।"
जोशुआ को कंपनी से कुछ समय के लिए निकाल दिया गया है। अब जोशुआ कुछ समय तक कंपनी में काम नहीं कर सकते क्योंकि उनके खिलाफ जोर शोर से जांच पड़ताल जारी है। इसके अलावा टिक टॉक कंपनी में मैटरनिटी लीव की अपनी पॉलिसी के बारे में कहां है कि वे महिलाओं को 30 हफ्तों की छुट्टी तनख्वाह के साथ देते हैं। और 13 हफ्तों की बिना तनख्वाह वाली छुट्टी भी उन्हे दी जाती है।
जोशुआ टिकटोक को जन्म देने वाली कंपनी bytedance के साथ 2018 से काम कर रहे हैं। उनका 2021 अगस्त में प्रमोशन हो गया और उन्हें सीनियर ई-कॉमर्स एग्जीक्यूटिव की पोस्ट मिल गई। उन्होंने टिक टॉक चाइनीस वर्जन बनाने में भी काफी रोल निभाया है। Bytedance कंपनी अपना वजूद खो चुकी है क्योंकि इसमें काम की स्थितियां बहुत बदतर थी जिस वजह से सभी लोगों ने वहां से काम छोड़ दिया।
जांच में सामने आया है किस कंपनी में काम करने वाले लोगों से ज्यादा समय काम करवाया जाता था। उनकी मानसिक हेल्थ और प्राइवेसी को बिल्कुल भी महत्व नहीं दिया जाता है।