Advertisment

Transgender Mother Wins Custody Case: पोरबंदर में पहली ट्रांसजेंडर महिला को मिली उसकी बेटी की लीगल कस्टडी

author image
Swati Bundela
22 Feb 2022
Transgender Mother Wins Custody Case: पोरबंदर में पहली ट्रांसजेंडर महिला को मिली उसकी बेटी की लीगल कस्टडी



Advertisment

Transgender Mother Wins Custody Case: ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को सोसाइटी एक्सेप्ट करने में समय अवश्य लगा रही है पर चेंज ज़रूर आ रहा है। ऐसे ही ट्रांसजेंडर माँ भी माँ ही है उसके अंदर भी ममता है यह कोर्ट भी मान रहा है। हाल ही में ट्रांसजेंडर लव को लेकर फिल्म रिलीज़ हुई है - "बधाई दो" जिसे लोग काफी पसंद कर रहे है इसी के बीच गुजरात की एक महिला ट्रांसजेंडर महिला ने अपनी बेटी की कस्टडी की लड़ाई जीत ली।

Transgender Mother Wins Custody Case: पूरा केस क्या है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका नाम बिजल भैशंकर मेहता है जो गुजरात पोरबंदर के मामलतदार ऑफिस में डिप्टी मामलतदार है। उनकी शादी हिमाग़ी से भी हुई थी और अब तलाक हो गया है। कोर्ट में अपनी बेटी की कस्टडी को लेकर केस लड़ रही थी। उनकी शादी खराब होने के बाद  इसके बाद बिजल ने पोरबंदर की एक अदालत में याचिका दायर कर अपनी बेटी की कस्टडी की मांग की, पहले कोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी।

Advertisment

बिजल ने कोर्ट में क्या अपील की?

बिजल ने अपनी याचिका में कोर्ट के आदेश को गलत कहा।  उसने अपनी याचिका में पूछा कि "क्या एक ट्रांसजेंडर महिला अपने लिंग परिवर्तन के बाद अब अपनी बेटी का पिता नहीं है और मां बन जाती है? अगर यह सच है तो बिजल की बेटी उसे पिता मां क्या कहेगी?"

उसने यह भी कहा कि इसका उसकी नाबालिग बेटी पर मानसिक प्रभाव पड़ सकता है। इस बात पर विधायक MG शिंगारखिया ​​और सलीम D. जोखिया ने बिजल के प्रति समर्थन दिखाया।  यह भी नोट किया गया था कि अगर हिमांगी को नाबालिग की कस्टडी मिलती है तो यह गार्जियनशिप एक्ट के तहत अवैध होगा क्योंकि बिजल उसकी बेटी की नैसर्गिक अभिभावक बन जाती है।

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को गलत और नाबालिग लड़की के हित के खिलाफ बताया। न्यूज़18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दलीलों, रिकॉर्ड और कारणों को देखने के बाद, अदालत ने मेहता की मांग को सही और कानूनी बताया और बिजल मेहता को बच्ची की कस्टडी दे दी।



/wp:tadv/classic-paragraph
Advertisment
Advertisment