MP News: देश-दुनिया में समलैंगिक से जुड़े मामलों में अक्सर बहस छिड़ती है। कहीं इसे मान्यता है तो कहीं इसका विरोध होता है। भारत में समलैंगिक कानून को लेकर एक खबर सामने आ रही है। भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन से इसका विरोध शुरु हो गया है। यहां आज महिलाओं ने समलैंगिक कानून को लेकर विरोध शुरु कर दिया।
बता दें समलैंगिकता को लेकर अभी तक समाज एकजुट नहीं हुआ है। भले ही कोर्ट इसे मान्यता देता है लेकिन समाज में आज भी इसे हिकारत की नजर से देखा जाता है। समाज अभी तक समलैंगिकता को कबूल नहीं कर पाया है। यही कारण है कि आए-दिन इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन और हिंसक मामले सुनने में आ जाते हैं।
क्या है मामला
दरअसल उज्जैन में आज भारी मात्रा में महिलाओँं ने समलैंगिता के खिलाफ विरोध शुरु कर दिया। समलैंगिकता के विरोध में महिलाओं को कहना है कि सिमलैंगिकता की ये प्रथा समाज को बर्बाद कर रही है और समाज के लिए अच्छी नहीं है। इस मामले के मद्देनजर महिलाओं ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कोर्ट को समलैंगिता के मामले से हटने की अपील की। महिलाओं ने अपने ज्ञापन के जरिए ये समझाने की कोशिश की कि इसको लेकर किसी भी तरह का निर्णय लेने का अधिकार संसद को है। एसडीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों और शासन से मामले को संज्ञान में लेने की बात की है।
क्या है महिलाओं का कहना
महिलाओं का कहना है कि इस तरह की प्रथा समाज के लिए उचित नहीं है। उज्जैन की महिलाएं समलैंगिकता का जमकर विरोध कर रही हैं।
हमारे समाज और सांस्कृतिक परमपराओं में विवाह दो विपरीत व्यक्तियों के बीच होने वाला पवित्र गठबंधन है। अभी वर्तमान में सांस्कृतिक मूल्यों का हनन करने वाला एक विषय जिसे हम समलैंगिकता विवाह कानून कह रहे हैं, अत्यंत गंभीर है, विचारणीय है। चूंकि कानून बनाने का अधिकार संसद को है, यह अभी माननीय न्यायालय द्वारा बीच में हस्तक्षेप करके कानून पर विचार कर निर्णय लेने की प्रक्रिया में है। हम निवेदन करते है कि संसद का काम संसद को ही करने देवें, अनावश्यक हसक्तक्षेप न करें। हमने ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया है। न्यायालय इसे गंभीरता से ले। ये सभी संगठनों की महिलाओं का एक ज्ञापन है। —राजश्री राजेन्द्र जोशी, सदस्य, महिला संगठन
बता दें समलैंगिकता के खिलाफ भारत में विरोध थम नहीं रहा है। भारतीय समाज अभी भी इसे मान्यता नहीं दे पा रहा है। खुद महिलाएं भी इसके खिलाफ आगे आ जाती हैं।