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79 की उम्र में MBA? उषा रे ने साबित किया कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती

79 वर्षीय उषा रे ने Dr. D Y Patil Vidyapeeth से MBA करके यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। कैंसर से जंग जीतने के बाद अब वे PhD की तैयारी में हैं। पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी

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Vaishali Garg
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Usha Ray Proves Dreams Have No Age

Usha Ray Proves Dreams Have No Age: Pursuing MBA at 79 (Photograph: News18 Hindi)

उम्र सिर्फ एक संख्या है, और 79 वर्षीय उषा रे ने इसे सच साबित कर दिया है। वे Dr. D Y Patil Vidyapeeth Centre for Online Learning, Pune से हॉस्पिटल और हेल्थकेयर मैनेजमेंट में MBA कर रही हैं। अगर वे अपनी डिग्री पूरी कर लेती हैं, तो वे दुनिया की सबसे उम्रदराज MBA ग्रेजुएट बन जाएंगी।

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वर्तमान में यह रिकॉर्ड University of California, Berkeley से 76 वर्ष की उम्र में MBA करने वाले Dr. Peter Fung के नाम है।

79 की उम्र में MBA? उषा रे ने साबित किया कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती

उम्र नहीं, हौसलों की पहचान होती है

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उषा रे का मानना है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। "मेरी नौकरी के बाद शाम का समय खाली जाता था, और मुझे लगा कि मैं अपनी बुद्धि को बेकार जाने दे रही हूं। मुझे अपने लिए कुछ करना था।"

उषा रे ने न सिर्फ पढ़ाई शुरू की बल्कि अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। "MBA ना होने के कारण मुझे हमेशा हीनभावना महसूस होती थी, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मुझे कौन रोक रहा है? अब जब मैं अपनी डिग्री पूरी कर लूंगी, तो मुझे कोई रोक नहीं पाएगा," वे कहती हैं।

तकनीकी चुनौतियों को हराया

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Lucknow में रहकर ऑनलाइन MBA करने के दौरान उषा रे को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। "मुझे लैपटॉप चलाना नहीं आता था, लेकिन मैंने एक खरीद लिया और धीरे-धीरे सीखना शुरू किया। अब मैं बिना किसी डर के अपनी ऑनलाइन क्लासेज अटेंड कर सकती हूं।"

उनकी इस यात्रा में Dr. D Y Patil Vidyapeeth Centre for Online Learning का बहुत बड़ा योगदान रहा। विश्वविद्यालय के शिक्षक और स्टाफ हमेशा उनका मार्गदर्शन करते रहे, जिससे वे अपनी पढ़ाई को आसान बना सकीं।

कैंसर को भी दी मात

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उषा रे सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से भी जूझ चुकी हैं। वे 2003 में स्टेज-4 कैंसर से ग्रसित हुईं, लेकिन उन्होंने इसे हराया। हालांकि, 2020 में कैंसर फिर लौटा, लेकिन इस बार भी वे विजेता बनकर उभरीं। उनके जज़्बे ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया।

उनके जीवन में संघर्षों की कोई कमी नहीं रही, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके पति का 2010 में निधन हो गया, और उनका बेटा Lucknow के बाहर रहता है। बावजूद इसके, वे अकेले रहकर भी अपने सपनों की उड़ान भर रही हैं।

MBA के बाद PhD की तैयारी

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उषा रे की यह यात्रा MBA तक ही सीमित नहीं है। उनका अगला लक्ष्य PhD करना है। "मुझे नहीं पता भविष्य में क्या होगा, लेकिन मुझे अपने हर सपने को पूरा करने का जुनून है," वे कहती हैं।

Dr. D Y Patil Vidyapeeth के प्रोफेसर Dr. फारूकी ने भी उषा रे की सराहना करते हुए कहा, "हमारे संस्थान में उम्र की कोई सीमा नहीं है। उषा जी की यह यात्रा एक प्रेरणा है, और हम उन्हें हर संभव सहयोग दे रहे हैं।"

उषा रे की कहानी एक सीख

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उषा रे की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो किसी भी कारण से अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, और यदि इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती।

क्या आप भी कभी नई शुरुआत करना चाहते हैं? उषा रे की कहानी आपको जरूर प्रेरित करेगी!

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