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कैसे एक नेत्रहीन लड़की बनी लाखों की प्रेरणा

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Swati Bundela
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तपस्विनी दास ने ओडिशा सिविल सर्विसेज एग्जाम पास किया। ओडिशा पब्लिक सर्विस कमिशन द्वारा लिए गए इस एग्जाम में पाँच लाख उम्मीदवारों में से तपस्विनी दास ने 161वीं पोज़िशन पाई है। इस एग्जाम में 218 उम्मीदवार सफल हुए हैं, जिनमें से एक तपस्विनी भी हैं। आपको बता दें कि उन्होंने यह एग्जाम पहली बार दिया है।
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आइये जानते हैं तपस्विनी और उनके जीवन के बारे में कुछ और एहम बातें:


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  1. सात साल की उम्र में, जब वह डीएवी भुबनेश्वर की दूसरी कक्षा में थीं, तपस्विनी ने सर दर्द की शिकायत की। उस वक्त, उन देखने में परेशानी होने लगी थी। जब डॉक्टर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनकी बाईं आँख की रौशनी चली गयी थी व दाईं आँख से भी दिखना कम हो रहा था।

  2. तपस्विनी हमेशा से ही पढ़ाई में अच्छी थीं, और तो और वह दूसरी कक्षा में भी टॉप करती थीं।

  3. बताया जाता है कि उनकी दाईं आँख का ऑपरेशन हुआ,  और डॉक्टर की लापरवाही की वजह से उन्होंने अपनी दाईं आँख की रौशनी भी खो दी। इसके बाद, उनकी पढ़ाई नेत्रहीन बच्चों के स्कूल में हुई।

  4. वह 9वीं कक्षा में थीं जब उन्होंने सिविल सर्वेन्ट बनने का सोचा। तपस्विनी का कहना है,


"जिनकी आँखें ठीक होतीं हैं वह किताबों से पढ़ सकते हैं, लेकिन मुझे किताबों को स्कैन करके उनकी ऑडियो रिकॉर्डिंग सुननी पड़ती थी। मैं कभी चुनौतियों से शर्माती नहीं ही और मैंने सोचा क्यों ना इसके लिए एक बार कोशिश की जाए।"

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5. उनके पिता, अरुण कुमार दास ओडिशा कोआपरेटिव हाउसिंग कारपोरेशन के डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं व उनकी माँ, कृष्णप्रिया मोहंती एक टीचर हैं। उनके माता-पिता को तपस्विनी पर गर्व महसूस होता है।

6. "उसने मेट्रिक का एग्जाम ब्रेल का इस्तेमाल करते हुए बेहद अच्छे अंकों से पास किया है। 12वीं कक्षा में आर्ट्स में टॉप करने के बाद, उसने अपनी ग्रेजुएशन भी काफ़ी अच्छे से की है," कहते हैं उनके पिता, अरुण कुमार दास। तपस्विनी अभी भुबनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से मास्टर्स कर रहीं हैं।
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7. यूपीएससी की परीक्षा की तरह, ओडिशा सिविल सर्विसेज के एग्जाम में नेत्रहीन लोगों के लिए कोई रिजर्वेशन नहीं होती।
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