हेमंत करकरे, जिन्हें 26/11 मुंबई हमलों के दौरान महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख के रूप में देखा गया था, हमेशा के लिए हमारे दिलों में अमर हैं। उस रात, जब उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए, उनकी बेटी जुई करकरे नवरे के लिए यह घटना एक व्यक्तिगत त्रासदी बन गई। अब, 16 साल बाद, जुई ने अपने पिता के जीवन पर एक किताब लिखी है, जो उनके संघर्षों और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को सामने लाती है।
हेमंत करकरे: 26/11 के शहीद की बेटी ने उनके जीवन पर लिखी किताब में क्या बताया
किताब लिखने की प्रेरणा
जुई ने बताया कि उन्होंने अपने पिता की लिखी डायरी में उनकी जिंदगी के छोटे-छोटे पहलुओं को देखा। "उन्होंने 1977 में डायरी लिखनी शुरू की थी और 1983 में उनका मूल्यांकन किया। वो हमेशा आत्म-मूल्यांकन करते रहते थे कि कैसे अपने आप को बेहतर बना सकते हैं। यही सबसे बड़ी सीख मैंने उनसे ली," जुई ने कहा।
डायरी से मिली सीख
जुई ने अपने पिता की लिखी डायरी में देखा कि वह कितने अनुशासनप्रिय थे। "वे छोटी-छोटी चीज़ों पर भी ध्यान देते थे, जैसे कि बहस में क्या अच्छा किया और क्या बेहतर किया जा सकता था। ये आदतें उनके व्यक्तित्व को और मजबूत बनाती थीं।"
एक प्रेरणादायक यात्रा
हेमंत करकरे का जीवन केवल एक पुलिस अधिकारी का नहीं था। वह एक कलाकार, पशु प्रेमी, समाजसेवी और एक अच्छे इंसान थे। उनकी किताब में उनकी अनगिनत भूमिकाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है।
बचपन की यादें
जुई ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा, "पिताजी के ट्रांसफर के कारण मुझे 10 अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई करनी पड़ी। उन्होंने मुझे हर नई जगह को एक अवसर के रूप में देखने की सलाह दी। इससे मुझे किसी भी माहौल में आसानी से ढलने की कला सीखने का मौका मिला।"
भविष्य की योजनाएँ
अपनी पहली किताब पूरी करने के बाद, जुई ने कहा, "यह किताब लिखना एक कठिन लेकिन संतोषजनक अनुभव था। मैं भविष्य में प्रेरणादायक व्यक्तित्वों पर लिखने की योजना बना रही हूँ।"