/hindi/media/media_files/2025/05/16/lgpdz2jDy8uM58HjHsWj.png)
Photograph Credit: Reuters
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में जो भव्यता और सांस्कृतिक रंग देखने को मिला, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। अबू धाबी के ज़ायेद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद जब ट्रंप राष्ट्रपति भवन क़सर अल वतन पहुंचे, तो उन्हें एक पारंपरिक और राजसी परफॉर्मेंस Al Ayyala के ज़रिए सम्मानित किया गया। इस प्रदर्शन की खास बात थी महिलाओं द्वारा किया गया खलीजी नृत्य, जिसमें वे अपनी लंबी बालों को लहराते हुए ताल के साथ थिरकती हैं।
Al Ayyala क्या है? ट्रंप के स्वागत में महिलाओं ने किया खास खलीजी नृत्य
Al Ayyala: युद्ध की छाया में लोक-संस्कृति का जश्न
Al Ayyala एक पारंपरिक अरब प्रदर्शन है, जो खासतौर पर यूएई और उत्तर-पश्चिमी ओमान में प्रसिद्ध है। यह एक तरह से युद्ध सीन को दर्शाता है, जहां पुरुष दो कतारों में तलवार या बंदूक लिए एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े होते हैं। वे सिर और हथियारों को संगीत की ताल पर लहराते हैं, और युद्धगीत या काव्य पाठ करते हैं।
लेकिन आज की सामाजिक संरचना में यह अब एक लोक कला का रूप बन चुका है, जो शांति, गर्व और परंपरा का प्रतीक बन गया है।
.@POTUS bids President Mohammed bin Zayed Al Nahyan farewell after receiving a royal welcome at Zayed International Airport in Abu Dhabi 🇺🇸🇦🇪 pic.twitter.com/NnIf6MYp44
— Rapid Response 47 (@RapidResponse47) May 15, 2025
खलीजी नृत्य: महिलाओं का अनोखा अभिव्यक्ति माध्यम
इस पारंपरिक प्रस्तुति का सबसे आकर्षक हिस्सा होता है महिलाओं द्वारा किया जाने वाला खलीजी (Khaleeji या Khaleegy) नृत्य। सफेद बहते गाउन पहने महिलाएं संगीत की ताल पर अपने लंबे, काले बालों को बाईं और दाईं ओर लहराती हैं।
यह नृत्य ना सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक है बल्कि सागर, पक्षी, मछली, भावनाएं और स्त्री की गरिमा को भी दर्शाता है। आमतौर पर यह रंगीन पारंपरिक कपड़ों में किया जाता है, पर राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत में इसे सफेद पोशाक में प्रस्तुत किया गया, जो पवित्रता और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, अल अय्याला को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह प्रदर्शन विवाह, त्योहारों और विशेष आयोजनों पर किया जाता है। इसमें हर आयु वर्ग के लोग भाग लेते हैं।
इस प्रदर्शन का मुख्य कलाकार आमतौर पर विरासत से चुना जाता है, जो बाकी सदस्यों को प्रशिक्षित करता है। संगीत में 7 सुरों का प्रयोग होता है और उसमें प्रयुक्त कविता अवसर के अनुसार बदलती रहती है।
क्या सीख सकते हैं हम इस परंपरा से?
अल अय्याला और खलीजी नृत्य हमें ये सिखाते हैं कि सांस्कृतिक परंपराएं केवल अतीत का बोझ नहीं होतीं, बल्कि वे राष्ट्र की पहचान और आत्मा की अभिव्यक्ति होती हैं। जहां एक ओर यह प्रदर्शन राजसी स्वागत का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह समाज में पुरुषों और महिलाओं की भूमिका को भी संतुलित रूप में दर्शाता है।
डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में प्रस्तुत किया गया अल अय्याला न केवल यूएई की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाया, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि लोक परंपराएं आज भी जीवित हैं और गर्व से निभाई जा रही हैं। खलीजी नृत्य, बालों की लय में बहती भावनाएं, और युद्ध की जगह अब शांति और सम्मान का संदेश देता अल अय्याला, वाकई देखने योग्य दृश्य था।