Advertisment

Marital Rape: बंद गेट के पीछे का सेक्सुअल वायलेंस हम इंग्नोर नहीं कर सकते हैं



Advertisment


Marital Rape: इंडियन पीनल कोर्ट की धारा 375 रेप के लिए होती है लेकिन इस में एक दिक्कत है। इस धारा के अनुसार अगर किसी भी महिला के रेप उसका पति करता है और महिला की उम्र 15 से ऊपर है तो इसको रेप में नहीं गिना जाएगा। इंडिया में रेप को लेकर काफी लॉज़ आ गए हैं। इससे मुजरिम के अंदर डर रहता है और महिलाएं अपने आप में सेफ मेहसूस कर पाती हैं। हर महिला के लिए रेप बुरा ही होता है चाहे फिर वो विवाहित के साथ हो या अविवाहित के साथ।

इंडिया में मैरिटल रेप को लेकर फ़िलहाल कोर्ट में सुनवाई हो रही है और इसके फायदे और नुकसान के बारे में बात की जा रही है। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह कोई बहस का मुद्दा है। इसकी हियरिंग के दौरान जस्टिस राजीव शकधर ने कहा कि "जब इंडिया का लॉ एक सेक्स वर्कर को जबरजस्ती सेक्स से बचाता है तो फिर एक बीवी को क्यों नहीं?"

तलाक के मामले बढ़ने का कारण क्या है?

Advertisment

एक महिला के लिए तब आवाज उठाना बहुत मुश्किल होता है जब रेप करने वाला उसका पति हो। अगर कोई महिला आवाज उठाती है तो उसे अक्सर समाज की और पैसों की मार झेलनी पड़ती है। आजकल डाइवोर्स केसेस बढ़ने का एक मात्रा कारण है महिलाओं को आवाज उठाना। पहले महिलाएं चुप चाप सब कुछ सेहती रहती थी इसलिए तब तलाक के मामले कम थे और रिश्ते कम टूटते थे।

एडवोकेट आभा सिंह ने मैरिटल रेप को लेकर क्या कहा?

इस केस में एडवोकेट आभा सिंह ने भी अपनी बात रखी। यह महिला के अधिकार को लेकर भी काम करती हैं। इन्होंने कहा कि घरेलु हिंसा से महिला को बचाने के लिए कई लॉ बनाए गए हैं जैसे कि धारा 498 A यह एक महिला को किसी भी तरीके शारीरिक, आर्थिक और इमोशनल क्रूरता से बचाता है। इसके अलावा धारा 323 और 326 भी यह उनके लिए है जो आपको चोट पहुंचाते हैं।

Advertisment

आभा सिंह का कहना है कि मैरिटल रेप चार दीवारों के अंदर होता है और इसका कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं होता है। इस केस में सिर्फ एक बीवी की पति के खिलाफ गवाही होती है जो कि लीगली प्रूफ करना बहुत मुश्किल हो जाता है।









#न्यूज़ #सोसाइटी
Advertisment