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Photograph: (AP via Mint)
आजकल देशभर में मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट की चर्चा ज़ोरों पर है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं, कुछ घबराए हुए हैं, तो कुछ कन्फ्यूज़। चलिए, इस पूरे मामले को बेहद आसान भाषा में समझते हैं।
क्या होता है मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट? क्यों ज़रूरी है इसकी जानकारी होना?
Mock Drill यानी तैयारी का अभ्यास
मॉक ड्रिल एक तरह की रिहर्सल होती है जैसे स्कूल में फायर ड्रिल होती है या ऑफिस में भूकंप के समय बाहर निकलने का अभ्यास करवाया जाता है। ठीक वैसे ही, जब कोई बड़ा खतरा या आपात स्थिति (जैसे युद्ध, बम हमला, प्राकृतिक आपदा) आ सकती है, तो सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पहले से यह जांचने के लिए मॉक ड्रिल करती हैं कि लोग, पुलिस, फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस आदि कैसे और कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देंगे।
इसमें कोई असली हमला नहीं होता यह एक नकली सिचुएशन होती है ताकि सबकी तैयारी देखी जा सके।
Blackout का मतलब?
ब्लैकआउट यानी पूरे इलाके की लाइटें बंद कर देना। पुराने ज़माने में जब एयर स्ट्राइक या दुश्मन के जहाज आसमान में आते थे, तो शहर की सारी लाइटें बंद कर दी जाती थीं ताकि दुश्मन ऊपर से शहर को ना देख सके।
आज भी अगर कभी ऐसा खतरा हो, तो उस स्थिति के लिए प्रैक्टिस की जाती है इसे ही ब्लैकआउट ड्रिल कहते हैं।
ये सब हो क्यों रहा है?
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के Pahalgam में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया।
इसलिए देश के अलग-अलग शहरों में 'सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल' और 'ब्लैकआउट प्रैक्टिस' की जा रही है। इसका मकसद सिर्फ एक है लोगों को जागरूक करना, और सिस्टम की क्षमता को परखना।
आपको क्या करना है? घबराएं नहीं!
अगर आपके इलाके में अचानक सायरन बजे, बिजली चली जाए या सुरक्षा बल सड़कों पर दिखें तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। यह एक प्रैक्टिस है। सरकार की तरफ से किया जा रहा यह कदम हमारी सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए है।
आपको बस इतना करना है:
- सरकार और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें,
- अफवाहें ना फैलाएं और ना ही सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि के कुछ पोस्ट करें,
- अगर मॉक ड्रिल में भाग लेने को कहा जाए तो ज़रूर शामिल हों यह आपके लिए ही है।