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Sharad Purnima 2023: कब है शरद पूर्णिमा, जानिए मुहूर्त और ग्रहण का समय

शरद पूर्णिमा का हिन्दू संस्कृति में बहुत ही महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुल्क पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा मनाई जाती है। ग्रहण के कारण कब होगी लक्ष्मी पूजा इसको लेकर कई सवाल हैं लोगों के मन में।

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Priya Singh
Oct 27, 2023 12:35 IST
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Sharad Purnima 2023 (Image Credit - ABPNEWS)

Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा का हिन्दू संस्कृति में बहुत ही महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुल्क पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा मनाई जाती है। यह एक फसल उत्सव है जो हिंदू चंद्र माह अश्विन में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को पूरे देश में मनाई जाएगी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चन्द्र ग्रहण पूर्णिमा की तिथि को लगता है इसलिए इस वर्ष शरद पूर्णिमा को चन्द्र ग्रहण लग रहा है। लोग शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं और खीर बनाकर उनका भोग लगाकर चाँद की रौशनी में खीर को रखते हैं मान्यता है कि इस दिन चाँद की रौशनी से अमृत वर्षा होती है। लेकिन इस वर्ष ग्रहण के कारण कब होगी लक्ष्मी पूजा इसको लेकर कई सवाल हैं लोगों के मन में।

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कब है शरद पूर्णिमा, जानिए तिथि मुहूर्त और ग्रहण का समय

शरद पूर्णिमा का मुहूर्त 

शरद पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 28 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 17 मिनट से होगा और 28 अक्टूबर की देर रात 03 बजकर 46 मिनट पर समापन हो रहा है। इसलिए 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा पूरे देश में मनाई जाएगी।

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कब तक रहेगा चंद्रग्रहण

28 अक्टूबर को चन्द्र ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है। सूतक में पूजा वर्जित मानी जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर 03 बजे सूतक काल लग जाएगा और ग्रहण की शुरुआत 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 05 मिनट पर होगी और रात के 02 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।

शरद पूर्णिमा के दिन पूजन का मुहूर्त

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शरद पूर्णिमा के दिन सूतक दोपहर 3:00 बजे लगेगा और सूतक लगने के बाद पूजा पाठ नही किया जाता है। लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन चन्द्र ग्रहण के कारण उस दिन पूजा नहीं की जायेगी।

शरद पूर्णिमा पर कैसे रखें चाँद की रौशनी में खीर 

ज्योतिष के अनुसार कई साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है और शरद पूर्णिमा का दिन खीर चंद्रमण की ओढ़स्नी में रखी जाती है लेकिन इस साल खीर को पूरी रात बाहर नहीं रखा जा सकेगा, सूतक होने के कारण वह दूषित हो जाएगी। ग्रहण समाप्त होने के बाद खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखें और सुबह ग्रहण करें।

महत्व

शरद पूर्णिमा मानसून के मौसम के अंत और फसल के मौसम के आगमन का प्रतीक है। यह भरपूर फसलों का जश्न मनाने और कृषि प्रचुरता के लिए धन्यवाद देने का समय है। ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा विशेष रूप से चमकीला होता है और उसकी किरणों में उपचार गुण होते हैं। कई लोगों का मानना है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी में विशेष शक्तियां होती हैं और इस रात चंद्रमा में भिगोया हुआ भोजन खाना शुभ और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।

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