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Aman Sehrawat: भारत का नया कुश्ती सनसनी, ओलंपिक कांस्य विजेता

अमन सहरावत की प्रेरणादायक कहानी, कैसे एक अनाथ लड़के ने कुश्ती के दम पर भारत को ओलंपिक कांस्य दिलाया। जानिए उनके संघर्ष, जीत और उस वजन घटाने की चुनौती के बारे में जो उन्हें लगभग पदक से वंचित कर सकती थी।

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Vaishali Garg
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Aman Sehrawat

Paris Olympics 2024: 21 के अमन सहरावत ने भारत के लिए एक नया इतिहास रचा है। पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्होंने पुरुषों की 57 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया है। ये पदक जीतने के साथ ही वे भारत के सबसे युवा ओलंपिक पदक विजेता बन गए हैं। 

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Aman Sehrawat: भारत का नया कुश्ती सनसनी, जीवन संघर्ष से ओलंपिक कांस्य तक

अमन ने पुर्तो रिको के डेरियन तोई क्रूज़ को 15-3 से हराकर भारत को लगातार पांचवा ओलंपिक कुश्ती पदक दिलाया। सेमीफाइनल में उन्होंने अल्बानिया के ज़ेलिमखान अबाकानोव को 12-0 से हराकर जगह बनाई थी। हालांकि, फाइनल में जापान के री हिगुची से 10-0 से हारने के बाद, अमन ने 9 अगस्त को कांस्य पदक जीतकर वापसी की।

संघर्ष से सफलता तक

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"ये मेडल मेरे माता-पिता के लिए है। उन्हें पता भी नहीं है कि मैं पहलवान बन गया, ओलंपिक जैसी कोई चीज़ होती है," भावुक अमन सहरावत ने कहा। जब वे 11 साल के थे, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया था। इसके एक साल बाद ही उन्होंने कुश्ती शुरू की।

अपने चाचा के साथ रहते हुए अमन छत्रसाल स्टेडियम आ गए, जहां से भारत के कई बेहतरीन पहलवान निकले हैं। कहा जाता है कि कोचों ने उन्हें सहानुभूति में लिया था और उन्हें पहलवान बनने की काबिलियत नहीं दिखती थी।

लेकिन अमन ने कड़ी मेहनत से खुद को साबित किया। उनके कोच ललित कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस में कहा था, "उन्होंने कुश्ती नहीं चुनी, कुश्ती ने उन्हें चुना।" साल 2018 में उन्होंने पेशेवर रूप से खेलना शुरू किया और विश्व कैडेट चैंपियनशिप में पहला पदक जीता।

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इसके बाद अमन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाबलों में जीत हासिल की, जिसमें अंडर-23 एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2022 एशियाई खेलों में कांस्य पदक और ग्रां प्री में कई खिताब शामिल हैं। इन उपलब्धियों ने उन्हें पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए एक मजबूत दावेदार बना दिया।

वजन घटाने की जद्दोजहद

अमन सहरावत पेरिस ओलंपिक में 57 किलोग्राम वर्ग में खेले थे। लेकिन, कांस्य पदक जीतने वाले मैच से एक रात पहले कोचों को डर था कि उनका वजन ज़्यादा हो सकता है और उन्हें खेलने से रोक दिया जाएगा। विनेश फोगाट की तरह कुछ ही ग्राम ज़्यादा वजन के कारण उनका फाइनल से बाहर होना एक सबक था।

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भारतीय कुश्ती टीम के कोच विजेंदर दहिया ने कहा कि अमन ने 57 किलोग्राम वजन बनाए रखने की पूरी कोशिश की। उनके पास सिर्फ 10 घंटे का समय था। उन्होंने मैट पर डेढ़ घंटे खड़े होकर कुश्ती की, फिर एक घंटे हॉट बाथ लिया और जिम में एक घंटे दौड़ लगाई। 

इसके बाद हल्की जॉगिंग और 15 मिनट की दौड़ की। उन्होंने नींबू और शहद वाला गुनगुना पानी और कॉफी पी। इसके अलावा पांच बार सौना लिया। सुबह 4:30 बजे तक उनका वजन 56.9 किलोग्राम हो गया। विजेंदर दहिया ने कहा, "वजन कम करना आम बात है, लेकिन विनेश के साथ हुए घटना के बाद बहुत तनाव था। हम दूसरा पदक नहीं गंवा सकते थे।"

अमन सहरावत की कहानी संघर्ष, दृढ़ता और जुनून की एक मिसाल है। उन्होंने न सिर्फ देश के लिए एक ओलंपिक पदक जीता, बल्कि अपनी जिंदगी की चुनौतियों को भी मात दी। उनका ये कारनामा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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