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Asha Kiran Barla: झारखंड की आदिवासी लड़की ने खेलो इंडिया में जीते दो स्वर्ण

आशा ने 2022 में भोपाल में यूथ नेशनल जीता, तो युवा एथलीट को अपनी मां से फोन पर बात करने के लिए दो दिन इंतजार करना पड़ा, क्योंकि उनका घर नक्सल प्रभावित गुमला जिले में स्थित था। जानें अधिक इस न्यूज़ इंस्पिरेशन ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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Asha Kiran Barla

Asha Kiran Barla

Asha Kiran Barla: झारखंड गुमला जिले की  रहने वाली आदिवासी एथलीट आशा किरण बारला ने रविवार को भोपाल में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी उपलब्धि में एक और उपलब्धि जोड़ ली। दो दिन पहले ही आशा इसी स्पर्धा में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था। झारखंड के गुमला जिले के कंदरा प्रखंड के नवाडीह गांव की रहने वाली हैं 16 वर्षीय आशा किरण बारला। वह अब पेरिस ओलंपिक के लिए देश से चुने गए 2,024 संभावितों में शामिल हैं।  फिलहाल आपको बता दें की वह बैंगलोर में राष्ट्रीय शिविर में भाग ले रही है।

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भोपाल खेलो इंडिया यूथ गेम्स में दो और गोल्ड मेडल पाकर मैं खुश हूं। मैं राष्ट्रीय शिविर पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हूं, जो अगले ओलंपिक खेलों के लिए है,"आशा किरण बरला ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा

Who Is Asha Kiran Barla?

हम आपको बता दें की आशा किरण बारला 2022 में कुवैत में एशियाई अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप जीतकर चर्चा में आईं। आशा उसी वर्ष गुवाहाटी में जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक और स्वर्ण पदक जीता। अब तक, उसने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 13 स्वर्ण पदक जीते हैं।

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बारला के कोच और मेंटर आशु भाटिया ने कहा, "उसकी लगातार सफलता को देखते हुए, वह ट्रैक पर झारखंड के लिए एक गोल्डन गर्ल है। एक युवा एथलीट के रूप में उनमें काफी संभावनाएं हैं और हम उनसे ओलंपिक टीम में शामिल होने और हमारे देश के लिए पदक जीतने की काफी उम्मीदें लगा रहे हैं।” आशा भाटिया के अधीन बकारो में उनकी आवासीय अकादमी में ट्रेनिंग लेते हैं।

जब आशा ने 2022 में भोपाल में यूथ नेशनल जीता, तो युवा एथलीट को अपनी मां से फोन पर बात करने के लिए दो दिन इंतजार करना पड़ा, क्योंकि उनका घर नक्सल प्रभावित गुमला जिले में स्थित था। आपको बता दें की रांची से लगभग 100 किमी दूर नवैध के आदिवासी गांव में उनके घर को अभी तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिला है।

आशा ने पटना में 2018 ईस्ट जोन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपना पहला पदक जीता। उसने तब से आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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बरला एक ऐसे गांव से आती हैं, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार, महिला साक्षरता दर सिर्फ 25% से अधिक थी। उनकी मां उन्हें बिजली कनेक्शन देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। इससे पहले एथलीट आशा ने दावा किया था कि उसके परिवार को राशन कार्ड भी नहीं मिल सका है। उनका परिवार एक कमरे के घर में बिना अलग किचन के रहता है।

बरला की 21 वर्षीय बड़ी बहन फ्लोरेंस भी एक होनहार एथलीट हैं, जिन्होंने 2022 में भुवनेश्वर में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था।

दोनो बहनों के लिए एथलेटिक्स एक जुनून या खेल से कहीं बढ़कर है;  यह उनके परिवार को गरीबी से बाहर निकालने का एक तरीका भी है। आशा बरला के पिता, एक स्कूल शिक्षक थे जिनका 2013 में कैंसर से जूझने के बाद निधन हो गया था।

Asha Kiran Barla झारखंड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप
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