उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक सत्संग में भगदड़ मचने से देशभर में सदमा का माहौल है। इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई है। 2 जुलाई को हाथरस के फूलराई गांव में एक धार्मिक आयोजन या सत्संग का आयोजन किया गया था। इस सत्संग में स्वयंभू बाबा, नारायण विश्व हरि भोले बाबा शामिल हुए थे।
हाथरस भगदड़: कौन हैं फरार बाबा 'भोले बाबा'?
आरोप है कि कार्यक्रम स्थल पर उचित प्रवेश-निकास और आपातकालीन सुविधाओं का अभाव था। भगदड़ में ज्यादातर महिलाओं और बच्चों की जान चली गई। हादसे में गंभीर रूप से घायल कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने इस कार्यक्रम के आयोजकों और 'बाबा' भोले बाबा के एक करीबी सहयोगी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि, अभी तक भगदड़ का मुख्य आरोपी माने जा रहे नारायण हरि फरार हैं।
अनुमति से ज्यादा भीड़, हुआ हादसा
पुलिस द्वारा दी गई अनुमति के अनुसार कार्यक्रम में केवल 80,000 लोगों को ही शामिल होना था। लेकिन, सत्संग में लगभग 2.5 लाख लोग पहुंच गए। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम से वापस लौटते समय लोगों के बीच भगदड़ मच गई। अस्पताल भेजे गए 27 शवों में से 23 महिलाओं के थे।
भोले बाबा: पूर्व पुलिसकर्मी से बने विवादित बाबा
लेकिन आखिर कौन हैं ये भगदड़ कराने वाले सत्संग के संचालक भोले बाबा?
भक्त उन्हें भोले बाबा के नाम से जानते हैं, असल नाम सुरपाल सिंह है। वह उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगर गांव के रहने वाले हैं। सुरपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्य किया था। वह 18 साल से अधिक समय तक हेड कॉन्स्टेबल के पद पर रहे और खुफिया इकाई में तैनात थे। हालांकि, उनके अनुयायियों का दावा है कि उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो में भी काम किया था।
साल 1999 में उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली और इसके बाद बाबा बन गए। उनके अनुयायियों का कहना है कि नौकरी छोड़ने के बाद उन्हें दैवीय अनुभव हुआ था। इसके बाद उन्होंने धार्मिक सभाओं या सत्संगों का आयोजन शुरू कर दिया। वे हर मंगलवार को अलग-अलग स्थानों पर ये कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उनकी न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।
विवादों से भी रहा है नाता
भोले बाबा का विवादों से नाता कोई नई बात नहीं है। साल 2022 में भी उन्होंने उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक ऐसा ही सत्संग आयोजित किया था, जबकि उस समय कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। जिला प्रशासन ने कार्यक्रम में केवल 50 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन कार्यक्रम में 50,000 से अधिक लोग पहुंच गए थे। भारी भीड़ के कारण इलाके में भारी ट्रैफिक जाम भी लग गया था।