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न्यूज़ है कि दिल्ली की एक लेखक और शार्ट स्टोरी राइटर गीतांजलि श्री ने हाल में ही इंटरनेशनल बुकर प्राइस जीता है। यह पहली ऐसी इंडियन राइटर बनी हैं जिस ने यह इंटरनेशनल ख़िताब जीता है।
इन्होंने इनकी नावेल में एक साल की महिला की कहानी लिखी है जो कि अपने हस्बैंड की मौत के बाद डिप्रेशन से गुजरती है। क्रॉसवर्ड बुकस्टोर्स ने इनकी नावेल माई को क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट भी किया था।
गीतांजलि की पहली कहानी 1987 में आयी थी जिसका नाम था बेल पत्र। यह इन्होंने हंस लिटरेरी मैगज़ीन में निकाली थी और साथ में ही इनकी शार्ट स्टोरीज का कलेक्शन भी जिसका नाम है अनुगूँज 1991। इनकी माई नावेल इंग्लिश, सर्बियन और कोरियाई भाषा में उपलब्ध है। साहित्य अकादमी अनुवाद की विनर नीता कुमार ने नावेल को इंग्लिश में ट्रांसलेट किया था।
गीतांजलि की दूसरी किताब का नाम है "हमारा शहर उस बरस"। इसकी कहानी सांप्रदायिक दंगे के आस पास लिखी गयी है खास तौर पर बाबरी मस्जिद डेमोलिशन को लेकर जो की 1992 में हुआ था।
गीतांजलि उत्तर प्रदेश के एक छोटे से नगर में पाली बड़ी हैं। इनके पिता एक सिविल सेवक थे। इनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में पली बड़ी hone के कारन इंग्लिश भाषा की किताबों से इनका कम ही सम्बन्ध था।
गीतांजलि ने इंटरनेशनल बुकर प्राइस मिलने पर कहा “I never dreamt of the Booker, I never thought I could. What a huge recognition, I’m amazed, delighted, honoured and humbled”
इन्होंने आगे लिखा “There is a melancholy satisfaction in the award I am going to get. Tomb Of Sand is an elegy for the world we inhabit, lasting energy that retains hope in the face of impending doom. The Booker will surely take it to many more people than it would have reached otherwise, that should do the book no harm”
इनकी किताब की शुरुवाती पंक्ति में लिखा है “Once you’ve got women and a border, a story can write itself. Even women on their own are enough. Women are stories in themselves, full of stirrings and whisperings that float on the wind, that bend with each blade of grass”