दक्षिण कोरिया में शिक्षकों की जीवन की कीमत चुकाने की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं। जनवरी 2018 से जून 2023 के बीच लगभग 100 शिक्षकों ने आत्महत्या की है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के एक तिहाई शिक्षक अवसाद से जूझ रहे हैं। ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं।
दक्षिण कोरिया में 100 से अधिक शिक्षकों की आत्महत्या: क्यों?
एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ जिसमें एक प्राथमिक स्कूल का छात्र अपने उप-प्रधानाचार्य को मारता हुआ दिखाई दे रहा था। छात्र ने उप-प्रधानाचार्य को थप्पड़ मारा, गाली दी और अपना बैग उस पर फेंका। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उप-प्रधानाचार्य ने छात्र को बिना अनुमति के स्कूल छोड़ने से रोकने की कोशिश की थी। लेकिन वीडियो में उप-प्रधानाचार्य ने हाथ पीछे किए हुए बिना किसी प्रतिरोध के इस यातना को सहन किया। क्यों? क्योंकि उन्हें छात्र के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगने और अदालत जाने का डर था। दक्षिण कोरिया में शिक्षकों के खिलाफ ऐसे आरोपों का डर इतना बढ़ गया है कि कई शिक्षक आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं।
शिक्षकों पर बढ़ता दबाव
पिछले साल नौकरी ज्वाइन करने वाली एक 26 वर्षीय प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका ने कुछ ही दिनों बाद आत्महत्या कर ली। उसकी डायरी में उसके संघर्ष की कहानी थी। उसके पिता ने बताया कि शिक्षिका को अभिभावकों से बहुत परेशानी हो रही थी। उन्हें धमकियां मिल रही थीं कि उन्हें जेल भेजा जाएगा और उन्हें फिर कभी क्लास में नहीं खड़ा होने दिया जाएगा। शिक्षिका को अभिभावकों से 1500 से अधिक अपमानजनक संदेश मिले थे।
ये मामले दक्षिण कोरिया में नए नहीं हैं। चैनल न्यूज़ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2018 से जून 2023 के बीच लगभग 100 शिक्षकों ने आत्महत्या की है। दक्षिण कोरिया के शिक्षक संघ द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, तीन में से एक शिक्षक अवसाद से जूझ रहा है जो कि सामान्य जनसंख्या की तुलना में तीन गुना अधिक है।
शिक्षा का क्रेज
दक्षिण कोरिया में अभिभावक अपने बच्चों पर पढ़ाई का बहुत अधिक दबाव डालते हैं। अच्छे स्कूल में दाखिला और अच्छा करियर बनाने के लिए अच्छे अंकों की जरूरत होती है। दक्षिण कोरिया में जन्म दर बहुत कम है, इसलिए ज्यादातर परिवारों का एक ही बच्चा होता है। इसलिए वे सारी उम्मीदें उस बच्चे पर लगा देते हैं।
लेकिन अगर बच्चे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तो सारा दोष शिक्षकों पर आ जाता है। एक पूर्व शिक्षक और शिक्षा विशेषज्ञ इंसू ओह ने चैनल न्यूज़ एशिया को बताया, "शिक्षकों की सामाजिक स्थिति कम होने और बच्चों की शिक्षा को लेकर अतिसंवेदनशीलता के कारण, अभिभावक अधिक मुखर हो रहे हैं, कभी-कभी तो आक्रामक भी हो जाते हैं, अगर उन्हें लगता है कि शिक्षक उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रहे हैं।"
बाल संरक्षण कानून: स्थिति के पीछे का कारण?
हाल ही में पारित बाल संरक्षण कानून के कारण छात्रों के खराब प्रदर्शन के लिए अभिभावकों द्वारा शिक्षकों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि हुई है। ये शिकायतें इतनी बढ़ गई हैं कि कई शिक्षकों को 'छात्रों के भावनात्मक शोषण' के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है या अनिश्चितकालीन निलंबन पर भेज दिया गया है।
शिक्षकों की मौतों के बाद शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। शिक्षक अब छात्रों को डांटने से हिचकिचाते हैं क्योंकि वे किसी कानूनी मुसीबत में नहीं पड़ना चाहते।
शिक्षकों की सुरक्षा के लिए नए कानून
विरोध प्रदर्शनों के बाद कुछ बदलाव हुए हैं। अधिकारी अब बाल दुर्व्यवहार के आरोप में शिक्षकों को तुरंत निलंबित नहीं कर सकते हैं, जब तक कि जांच पूरी न हो जाए। शिक्षकों को अब कक्षा से शोर मचाने वाले छात्रों को हटाने की अनुमति है।
इसके अलावा, प्राथमिक स्कूल अभिभावकों के फोन कॉल रिकॉर्ड करेंगे। अभिभावक-शिक्षक बैठक के कमरे पर कैमरे की निगरानी होगी। अभिभावकों की शिकायतों को प्रिंसिपल द्वारा निपटाया जाएगा, न कि शिक्षकों द्वारा। अगर शिक्षक कानूनी मुसीबत में पड़ जाते हैं तो उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। अभिभावकों के पास अब शिक्षकों के मोबाइल नंबर जैसे व्यक्तिगत विवरण तक पहुंच नहीं होगी।
बदलाव काफी नहीं
इस नए कानून के बाद से अभिभावकों द्वारा शिक्षकों के खिलाफ मुकदमे दायर करने के मामलों में कमी आई है। सितंबर 2023 से अप्रैल 2024 के बीच केवल 385 शिकायतें दर्ज की गईं।
कोरियाई शिक्षक संघ ने बदलावों का स्वागत किया है लेकिन 11,359 शिक्षकों में से 78 प्रतिशत का मानना है कि नए कानून से स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है।