Fab India Diwali Collection Ad Removed - आजकल हम देख रहे हैं कि ज्यादातर ब्रांड्स कास्ट, रिलिजन और रीती रिवाज के ऊपर अपने एड लेकर आते हैं। इससे लोगों का इनके एड पर ज्यादा फोकस चला जाता है और यह एकदम से हाईलाइट हो जाते हैं। आजकल बड़ी बड़ी कंपनियां ऐसा कर रही हैं। हाल में ही फैब इंडिया जो कि एक कंपनी की ब्रांड है उसने भी इस स्ट्रेटजी को अपनाया है, इन्होंने हाल में ही इनके दिवाली कलेक्शन को लांच किया है और इसका नाम इन्होंने उर्दू में रखा है जश्न-ए- रिवाज़।
https://twitter.com/Tejasvi_Surya/status/1450015050681311232?t=e8Z3aIcBAyv2aSZFRVjsTg&s=09
क्यों है ब्रांड्स का इस तरीके के एड बनाना गलत?
कल शाम से पूरे ट्विटर पर इस ब्रांड के बहिष्कार को लेकर ट्वीट किए जा रहे थे और अब फाइनली इन्होंने अपने एड को हटा दिया है। इंडिया में ब्रांड्स इस तरीके के सेंसिटिव मुद्दों पर एड बनाकर लोगों की भावनाओं के साथ कई बार खिलवाड़ करती हैं। जब त्यौहार हिन्दुओं का है और वो भी इतना बड़ा त्यौहार तो उसका मुस्लिम तरीके से हाईलाइट करने का क्या कारण है? फैबइंडिया की मॉडल न ही हिन्दू के तरीके से तैयार थीं और न ही इसका हिन्दू नाम रखा गया था।
https://twitter.com/ShefVaidya/status/1449950193177092100?t=9KRY77ESUWvHBllBqnpqeg&s=09
https://twitter.com/rose_k01/status/1450064684648857600?t=hTX3jsqR-aKZi7vpCUQItw&s=09
त्यौहार और धर्म को टारगेट करना गलत क्यों है?
ऐसे में जो लोग अपनी आस्था के साथ इस त्यौहार की तैयारी कर रहे होते हैं उनको यह सब देख ठेस पहुँचती है और इस तरीके के बट्रैंड्स पर गुस्सा आ जाता है। बात धर्म की नहीं हैं, कपड़े किसी भी धर्म के नहीं होते हैं लेकिन जब आप त्यौहार के हिसाब से आपका कलेक्शन लेकर आ रहे हैं तब इस तरीके की बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। अगर आप ईद का कलेक्शन लांच करते हैं तब आप बिना किसी झिझक के उसका उर्दू या फिर उनके धर्म से जुड़ा कुछ नाम रख सकते हैं। इस तरीके के ब्रांड्स आपस में धर्म को और ज्यादा बाटते हैं और कंट्रोवर्सी पैदा करते हैं।
इससे पहले मान्यवर के एड को लेकर भी ऐसी ही कंट्रोवर्सी हुई थी। इस एड में आलिया भट्ट थीं और वो कन्यादान और पराया धन को लेकर बात उठाती हैं। उनका कहना है कि क्यों महिलाओं को खुद का कोई घर नहीं होता है और उन्हें हमेशा पराया ही मन जाता है। इसके बाद यह आखिर में सोच बदलने को कहती हैं जब कन्या की जगह एड में वर का भी दान होता है। इस में फिर वो कहती हैं कि कन्यादान नहीं कन्यामान।