Mumbai Court: मुंबई की एक अदालत ने तीन बच्चों की मां को एक महिला की लज्जा भंग करने का दोषी ठहराया। मुंबई में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने माना कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 अपराधी के संबंध में gender-neutral है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मनोज वसंतराव चव्हाण ने कहा, "आईपीसी की धारा 354, इसलिए सभी लोगों पर गुणवत्ता का संचालन करती है चाहे वह पुरुष हो या महिला और यह नहीं रखा जा सकता है कि महिला को इस धारा के तहत किसी भी सजा से छूट दी गई है"।
एक 38 उम्र महिला को दूसरी महिला की लज्जा भंग करने के आरोप में दोषी ठहराया। उस महिला को एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। आपको बता दें कि आरोपी पर छह हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।
Mumbai Court: महिलाओं को महिला की मोडेस्टी भंग करने का दोषी ठहराया जा सकता है
2020 में, आरोपी महिला ने कई अन्य लोगों के सामने इमारत के रास्ते में अपने पड़ोसी के कपड़े फाड़ दिए थे। ऐसा बताया गया है कि महिला ने अपने पति से उसके साथ बलात्कार करने का भी आग्रह किया। अदालत ने कहा कि गवाहों के सबूतों से साबित होता है कि अभियुक्तों द्वारा आपराधिक बल का इस्तेमाल इस इरादे और ज्ञान के साथ किया गया था कि इस तरह के कृत्य करने से महिला की मोडेस्टी भंग होगी। कोर्ट ने कहा, 'मुखबिर को पीटकर और उसकी नाइटी फाड़कर आरोपी ने पीड़िता के निजता के अधिकार का हनन किया है।'
चव्हाण ने यह भी कहा कि "जब घटना हुई थी, उसी इमारत के पुरुष भी वहां खड़े थे"। मजिस्ट्रेट ने आगे कहा कि आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध किसी भी पुरुष या महिला द्वारा आवश्यक इरादे या ज्ञान के साथ किया जा सकता है। उन्होंने फैसला सुनाया कि यह क्लियर था कि आईपीसी की धारा 354 के तहत एक पुरुष के साथ-साथ एक महिला को भी इस तरह के अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है।
आरोपी द्वारा मारपीट की गई महिला ने अदालत को बताया कि आरोपी की मां के साथ कॉर्डियल संबंध थे, जिसके कारण यह विवाद हुआ। उसने कहा कि आरोपी ने उस पर एक चप्पल फेंकी थी और दूसरी चप्पल से उसके सिर पर भी वार किया था। घटना को दिखा जिन पड़ोसी ने बीच-बचाव का प्रयास किया था। आरोप है कि आरोपी ने महिला का गला पकड़ा था और गाली-गलौज करने लगा। उसने अपनी नाइटड्रेस भी फाड़ दी थी।