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Mandana Art: सवाई माधोपुर में मांडना कला पर वर्कशॉप का हुआ आयोजन

कला और साहित्य | न्यूज़: मांडना कला को लेकर सवाई माधोपुर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में इस कला को सिखाने के साथ-साथ जागरूक भी किया गया।

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Prabha Joshi
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मंडाना कला

मांडना कला

Mandana Art: मांडना कला देश में लुप्त न हो इसके लिए राजस्थान के सवाई माधोपुर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया। वर्कशॉप के दौरान राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद ) और आयाम संस्था की ओर से आए अधिकारियों ने इसके प्रति गाइड किया और इसे आजीविका का साधन बताया। 

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राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद ) और आयाम संस्था की ओर से आए अधिकारियों ने संस्थान और मांडना कला से जुड़ी महिलाओं को बताया कि किस तरह महिलाएं इस कला के प्रति आगे आकर न केवल इसको बढ़ावा दे सकती हैं बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त भी बन सकती हैं। इसके लिए ट्रेनर्स ने महिलाओं को मांडना कला से जुड़ी ट्रेनिंग दी। वर्कशॉप के दौरान बताया गया कि किस तरह इस कला को दीवारों या फर्श पर उकेरा जा सकता है। 

क्या होती है मांडना कला

मांडना कला बहुत प्राचीन काल से राजस्थान, मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ क्षेत्र में प्रचलित कला है। आधुनिकता के चलते ये धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। इसमें गेरू या गोबर आदि प्राकृतिक सामान से दीवार या फर्श को लीपकर फिर उसमें कला की जाती है। कला के लिए रेखाएं, त्रिभुज, गोले और अन्य ज्यामिति से जुड़े सिंबल्स और फूल-पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। ये कला में बहुत अच्छा लगता है। त्यौहारों में खासकर इसका महत्व होता है। इसे त्यौहारों के उपलक्ष्य में बनाया जाता है। ये कला खुशी और संपन्नता की प्रतीक होती है। 

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क्या कहा अधिकारियों ने

अधिकारियों की मानें तो वर्कशॉप में महिलाओं को मिट्टी की दीवारों के साथ ही कागज, कपड़े, जूट, सीमेंट की दीवारों पर मांडना उकेरने की जानकारी दी गई। इससे मांडना कला से जुड़ी महिलाओं को कला के प्रति लगाव बना रहेगा और साथी महिलाओं को ये आजीविका के नए साधन के रूप में नजर आएगी। इस कला पर वर्कशॉप के दौरान प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

बदलते समय के साथ साथ मांडना कला लुप्त होती जा रही है। मांडना कला को बचाए रखने को लेकर आयाम संस्था की ओर से प्रयास किया जा रहा है। साथ ही मांडना कला से जुड़ी महिलाओं को वर्कशॉप व ट्रेनिंग के माध्यम से मांडना कला को आजीविका से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। अभिषेक खन्ना और सुमन चौधरी, अधिकारी

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मालूम हो भारत में बहुत-सी ऐसी क्षेत्रीय कलाएं हैं जो धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं। आज तकनीक के इस युग में जब मशीनों से सब हासिल हो रहा, मेनुअल कारीगर और कलाएं कम होती जा रही हैं। ऐसे में कला के प्रति इस तरह के प्रयास सराहनीय हैं।

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