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Photograph: (Freepik)
World Homeopathy Day 2025: विश्व होम्योपैथी दिवस हर वर्ष 10 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैम्युअल हानेमैन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य होम्योपैथी के क्षेत्र में किए गए योगदान को सम्मान देना और इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना है। 2025 में यह दिन फिर से हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में कितनी प्रभावशाली हो सकती है।
World Homeopathy Day 2025: जानिए इतिहास, महत्व और यह क्यों मनाया जाता है
होम्योपैथी का इतिहास
होम्योपैथी की खोज जर्मन चिकित्सक डॉ. सैम्युअल हानेमैन ने 18वीं शताब्दी में की थी। उन्होंने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि "समान वस्तु समान वस्तु को ठीक करती है" (Like cures like)। इसका मतलब यह है कि जिस पदार्थ से किसी स्वस्थ व्यक्ति में बीमारी जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में देने पर बीमार व्यक्ति को ठीक कर सकता है। डॉ. हानेमैन का यह विचार उस समय की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव था। धीरे-धीरे होम्योपैथी यूरोप, अमेरिका और भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में लोकप्रिय हुई।
विश्व होम्योपैथी दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह दिन डॉ. हानेमैन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का विकास किया। यह दिवस चिकित्सा क्षेत्र में होम्योपैथी के योगदान को मान्यता देने और आम लोगों के बीच इसकी प्रभावशीलता के बारे में जानकारी बढ़ाने का कार्य करता है। इसके अलावा, यह दिवस होम्योपैथिक डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और छात्रों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है ताकि वे इस क्षेत्र में नए अनुसंधान और विकास की दिशा में काम कर सकें।
होम्योपैथी का महत्व
होम्योपैथी एक प्राकृतिक और सुरक्षित चिकित्सा पद्धति मानी जाती है, जो शरीर की आत्म-उपचार शक्ति को सक्रिय करने पर आधारित है। यह चिकित्सा पद्धति विशेष रूप से उन रोगों में प्रभावी मानी जाती है जो लंबे समय से बने हुए हों, जैसे एलर्जी, माइग्रेन, स्किन रोग, मानसिक तनाव आदि।
इसके कुछ प्रमुख लाभ हैं-
दवाओं के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।
यह चिकित्सा बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित मानी जाती है।
यह रोग की जड़ तक पहुँचने का प्रयास करती है।