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"अभी तक तुनिशा सिर्फ 608 बैग इकट्ठा कर पाई है । तुनिशा की यह नेक पहल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है और उन्हें लोगो से खूब सराहना मिली है और अभी बहुत से बैग आने बाकी है ।" कहना है तुनिशा के पिता खुशरू का जिन्हे खुद को चैरिटी बहुत पसंद है ।
नेक पहल की शुरुआत
तुनिशा के दिमाग में यह सोच तब आयी जब वह अपनी मैजिक स्लेट पर राकेट बना रही थी जो तुनिशा के भाई फारुख को उसके अंकल ने दी थी । टी वी देखते समय उसने अपने पिता से कहा की क्या हम ऐसी मैजिक स्लेट गरीब बच्चों को नहीं दें सकते ? कुछ देर बाद उसने कहा की हमने अभी बाढ़ पीड़ितों को खाना दिया, कपड़े दिए पर उन बच्चों को स्कूल बैग किसी ने भी नहीं दिए होंगे ? तब तुनिशा के पिता खुशरू ने कहा की तुम ऐसा क्यों नहीं करती हो ? पिता द्वारा पूछे जाने पर की तुम कितने बैग गरीब बच्चों को देना चाहोगी तो उसने कहा 5000 और बस तभी से ये मिशन शुरू हुआ ।
इतनी छोटी उम्र में इतनी उत्तम सोच
तुनिशा ने अपने इस मिशन को "द बैग्स ऑफ़ काइंडनेस " नाम दिया है । बहुत से लोग तुनिशा की इस पहल में उसका साथ दें रहे है और रोज़ ऐमज़ॉन या फ्लिपकार्ट के द्वारा बैग्स भेज रहे है । तुनिशा द्वारा शीदपीपल. टी वी को दिए गए एक इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया की लोगो से अपनी पहल को इतना प्रोत्साहन मिलने पर उसे कैसा लगा तो तुनिशा के पिता ने बताया की वो काफी अचंभित है क्योंकि रोज़ कोरियर के ज़रिये इतने बैग आ रहे है और वो बार -बार पूछती है की यह बैग किसने भेजे क्योंकि भेजने वाले का नाम या पता उन बैग्स पर नहीं होता है ।
तुनिशा ने एक बहुत प्यारी कविता भी सुनाई जो उन्होंने अपना पिता से सीखी है ।
प्रभु कहते है, रोटी आती बजते शंख
पूजा में सब खोये है,
मंदिर के बहार तो देखो,
भूखे बच्चे सोये है।
एक निवाला उनको देना
प्रसाद मुझे भी चढ़ जाएगा।
मेरे दर पे मांगनेवाले,
बिन मांगे तुझे भी सब मिल जाएगा ।।
हम आशा करते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस पहल का हिस्सा बनें.