उनकी किताब " लव: मैरिज एंड सेक्सुअलिटी" को काफी सराहना मिली. इस लेखक ने अभी अपनी नयी नावेल " निखिल एंड रिया" रिलीज़ करि थी. यह कहानी एक बोर्डिंग स्कूल की है जिसको निखिल ने अपने दृष्टिकोण से सुनाया है.
इरा त्रिवेदी : योग ने मुझे एक लेखिका बनने में की मदद
उन्होंने शी.द.पीपल से इस विषय में बात करी. उन्होंने बिज़नस से लेकर लिखने और योग से लेकर ऊनी नयी किताब के बारें में बहुत कुछ बताया.
१. आपकी सभी फिक्शन किताबें महिलाओं की दृष्टिकोण से होती हैं, तोह आपकी नयी किताब एक पुरुष के दृष्टिकोण से क्यों है?
मैंने ६ वर्ष पहले यह किताब रिया के दृष्टिकोण से लिखी थी परंतु मैंने उससे बंद कर दिया और इसे पब्लिश नही कराया. मुझे आभास हुआ कि यह किताब निखिल के दृष्टिकोण्ड से होनी चाहिए. रिया इस किताब में मृत्यु के नज़दीक है. जो इंसान उसके सबसे करीब है उसे उस मृत्यु का सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा.
२. एक प्रेम कहानी को पुरुष के दृष्टिकोण से लिखने में किन परेहनियों का सामना करना पड़ा?
यह काम थोड़ा मुश्किल था. मैंने यह पहले कभी नहीं किया था. मुझे एक मेल एडिटर कि भी ज़रुरत पडी. ईर्ष्या जैसी भावनाओं को शब्दों में बयां करना मुश्किल था. मुझे इस बात का भी आभास हुआ कि एक पुरुष के द्वारा महसूस की गयी ईर्ष्या महिला के द्वारा महसूस की गयी ईर्ष्या से बहुत अलग होती है. पर मुझे इसमें भी बहुत मज़ा आया.
३. आपकी हर किताब में मुख्य किरदार का नाम रिया है. आप किस रिया से खुद को सबसे ज्यादा संबंधित कर पाती हैं?
पहली किताब की रिया के साथ मैं सबसे ज़्यादा रेलट कर पाती हूँ. वह किरदार मेरे बारें में ही था. तब से मेरे लिए हर महिला किरदार का नाम रिया होना अनिवार्य हो गया. पर मैं अपने व्यक्तित्व के विषय में ज़्यादा नही दर्शाती. हाँ! मेरे और रिया के अनुभवों में बहुत सामान्यता है. परंतु हर रिया दूसरी से अलग है. रेलट
४. अपने शादी और सेक्सुअलिटी पर काफी काम किया है. जब आप आज की महिलाओं से मिलती हैं तोह आपको किस बात का आभास होता है?
महिलाओं के विचार पुरुषों के विचारों से ज्यादा जल्दी बदल रहे हैं. इस कारण, महिलाओं और पुरुषों के बीच के संबंधों में बदलाव आ रहे हैं और यह एक बड़ी समस्या है.
६. आपको कौन से लेखक सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं और आप अपने कौन से प्रोजेक्ट पर काम करने लगी हैं?
मैंने निखिल एंड रिया लिखने से पहले बहुत सी आध्यात्मिक किताबें पढ़ी. मैंने बुक ऑफ़ द डेड पढ़ी जिसमें मुझे मृत्यु से जुड़े बहुत सी सीख मिली. इतने गेरे संदेशों को एक सिंपल नावेल में लिखना एक कठिन कार्य था.
मुझे लेखक किरण नागरकर बहुत पसंद हैं. मुझे कककोल्ड पढ़ने में बहुत मज़ा आया.
मेरे अगली किताब का नाम है " अ बुक ऑन योग" ज २१ जून को रिलीज़ होगी. इस किताब में १० मिनट के योग सोलूशन्स हैं. हम सबको १० मं योग अवश्य करना चाहिए.
७. आपकी योग में रूचि कैसे बड़ी?
लिखने और योग में एक गहरा सम्बन्ध है. यह राइटर के ब्लॉक को हटाने में सहायता करता है. योग करने के बाद ही मैं अच्छे से लिख पाती हूँ. मैं एक आध्यात्मिक खोद पर थी जब मैंने योग को ढूँढा. मैं अपने जीवन के उद्देश्य को ढूंढना चाहती थी. मैं केरल के शिवानंद आश्रम में गयी.
७. आप उन लोगों को कुछ सुझाव देना चाहेंगी जो लेखक बनना चाहते हैं?
मैं कहूँगी की पड़ना अनिवार्य है. हम जकल ज़्यादा पड़ते नही हैं. आप जिस विषय में लिखना चाहते हो उसी विषय में किताबें पड़ो. लेखकों को किताबें भी पड़नी चाहियें. योग और पढ़ना ही मेरा सुझाव है.