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एक सर्वे के अनुसार 56% महिलाओं को लगता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न बढ़ा है

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Swati Bundela
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इसके आलावा, 53% महिलाओं ने कहा कि उन्हें कार्यस्थल पर यौन टिप्पणियों, गलत  इशारों और चुटकुलों का सामना करना पड़ा है। पिंक लैडर के नाम से महिला पेशेवरों के लिए करियर बढ़ाने का एक मंच "जेंडर स्टडीज फॉर इंटरनेशनल एलायंस" के माध्यम से "भारत में यौन उत्पीड़न पॉलिसीयों के प्रभाव" पर एक रिसर्च किया गया। यह रिसर्च बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई और नई दिल्ली के 80 संगठनों की लगभग 200 महिलाओं पर की गई ।

रिसर्च से यह पता चलता है कि 80% के करीब महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ बने कानूनों को जानती हैं, लेकिन लगभग 30% महिलाएं अभी भी ऐसी घटनाओं के बारे में इंटरनल कमिटी से शिकायत करने में डरती हैं।

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“समय-समय पर वर्कशॉप , डिबेट और चर्चाओं के माध्यम से उत्पीड़न करने वाले लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करके यौन उत्पीड़न के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कंपनियों को आगे काम करना चाहिए। इकोनॉमिक टाइम्स के पिंक लैडर के सह-संस्थापक सौजन्य विश्वनाथ ने कहा कि इस दिशा में पहला कदम मौजूदा कानून की पहुंच और प्रभाव को समझना है और हमे इस रिसर्च के माध्यम से इस लक्ष्य को हासिल करना है।

रिसर्च से यह पता चलता है कि 80% के करीब महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ नीतियों को जानती हैं, लेकिन लगभग 30% महिलाएं अभी भी ऐसी घटनाओं के बारे में आंतरिक समिति से शिकायत करने में डरती हैं।

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45% से अधिक महिलाओं का मानना ​​है कि उनकी कंपनी की इंटरनल कंप्लेंट कमिटी पॉश नीतियों और क़ानून के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं है। 50% से अधिक उत्तरदाताओं को यकीन नहीं है कि अगर वे उनके साथ काम करने के लिए मशीनरी होने के बावजूद यौन उत्पीड़न का सामना करते हैं तो वे एक ही काम करना जारी रखेंगे। और 65% महिलाओं का मानना ​​है कि जेंडर सेंस्टिविटी और ट्रेनिंग इनिशिएटिव कर्मचारियों को कार्यस्थल पर आपस में योन उत्पीड़न से लड़ने में मदद कर सकते हैं। यह पीड़ितों को अन्य कर्मचारियों का विश्वास दिलाने में मदद कर सकता है जो इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग करने में उसका साथ दे सकते हैं।
#फेमिनिज्म
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