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हमने ४ महिलाओं से यह जानने के लिए बात करी कि किस प्रकार उनकी सेना की पृष्ठभूमि ने उन्हें एन्त्रेप्रेंयूर बनने में सहायता करी.
“एक सेना के बैकग्राउंड से होने के कारण मैं एक संतुलित व्यक्ति हूँ. मैं आज जो हूँ वो अपनी एयर फ़ोर्स की ट्रेनिंग की वजह से हूँ.”, अर्पिता शर्मा जो ट्विग्स इंडिया की फाउंडर हैं, वो कहती हैं.
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आईफिटिन की संस्थापक पूनम जे खोत का कहना है - "मेरी सेना की पृष्ठभूमि के कारण, ग्राहकों ने मुझे पर भरोसा दिखाया और तुरंत मुझे स्वीकार कर लिया। मेरे कई ग्राहक सेना से आते हैं, इसलिए एक तरह से, यह मुझे कुछ अच्छे ग्राहकों से जोड़ता है. एक सेना की पृष्ठभूमि से महिलाओं में कौशलता के संदर्भ में, उनके पास आत्मनिर्भरता, काम करने, अनुशासन आता है. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हमेशा सफलता के लिए 'योजना-बी' के साथ तैयार होते हैं। "
स्पिरिट ऑफ़ ट्रैक्कर्स की संस्थापक साक्षी श्रीवास्तव भट्टाचार्य जो लोगों को हिमालय में ट्रेकिंग के लिए ले जाती हैं का मानना है कि सेना के उनके कार्यकाल ने उन्हें अपनी उद्यमशीलता जर्नी क शुरू करने में मदद की है. वह कहती है कि सेना के प्रशिक्षण के कारण उनका बहुत सारी चीजों के प्रति दृष्टिकोण बदल गया है
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"हम नहीं देखते कि कोई पुरुष या महिला है या नहीं. हम लोगों को व्यक्तियों के रूप में देखते हैं", उन्होंने कहा. वह यह भी कहती हैं कि सेना से जुड़े हुए लोगों को जो सम्मान मिलता है वह उन्हें आगे ले जाता है.
अनुराधा तलवार जो विभूषिता की संस्थापक हैं कहती हैं कि सेना में उनके कार्यकाल ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बना दिया गया था। वह प्रत्येक चुनौती को एक अवसर के रूप में देखने लगी. अनुशासन और आत्मविश्वास ने उसे जोखिम उठाने के लिए तैयार किया.
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