जानिए किस प्रकार मरक का पुस्तकालय देता है बच्चों को एक सकारात्मक वातावरण

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Swati Bundela
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वे एक स्कूल में अध्यापिका की तरह काम कर रही थी परंतु उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी क्योंकि वह " हंड्रेडस्टोरीहाउस" शुरू करना चाहती थी. यह पुस्तकालय उन्होंने बच्चों के लिए खोला है. मेघालय का यह क्षेत्र इंसर्जेन्सी से प्रभावित रहता है. ऐसे में बच्चों का पुस्तकालय होना एक बहुत ही सकारात्मक पहल है.

स्कूल में अध्यापिका की तरह काम करते हुए उनको इस बात का आभास हुआ कि उस क्षेत्र में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां बच्चे अच्छी किताबें ढूंढ सकें. विद्यालय का पुस्तकालय भी अपडेटेड नहीं था और लोकल मार्केट में  अच्छी क्वालिटी की बच्चों की किताबें नहीं थी.

वह अब एक कंसल्टेंट करियर काउंसलर की तरह काम करती हैं और उसके द्वारा कमाए गए धन को वह पुस्तकालय की देख रेख करने के लिए उपयोग करती है. उन्होंने  परिवार और दोस्तों की सहायता से लगभग 800 किताबें इकट्ठी कर ली हैं. उन्होंने फेसबुक की मदद से अपने इस प्रोजेक्ट के बारे में जागरूकता भी फैलाई है.

यहपुस्तकालयएकऐसीजगहबनगईहैजहांभिन्न-भिन्नउम्रऔरजातिकेबच्चेमिलकरपढ़तेहैं.


मैं अमेज़न से किताबें आर्डर करती हूं, पुस्तकालय के निर्माण के लिए पैसे बचाती हूं, तख़्त खरदीती हूं और उन्हें स्वयं ही पेंट करती हूं", वह शीदपीपल.टीवी को बताती हैं.

4 महीने की मेहनत के बाद उन्होंने पिछले वर्ष 23 अप्रैल को पुस्तकालय खोला परंतु उनको बहुत सी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि किस प्रकार बच्चों को किताबें पढ़ने की आदत ही नहीं है. दूसरी ओर क्षेत्र का राजनीतिक माहौल भी एक बाधा है.

" कुछ ऐसे दिन भी थे जब हमने हार मानने का निर्णय लिया. चीजों को शांत हुए 2 साल हो चुके हैं परंतु वातावरण अभी भी बहुत नकारात्मक है. आपको एक ही रात में सुरक्षा की भावना महसूस नहीं हो सकती."  वह कहती हैं.

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परंतु बच्चों के माता-पिता के लिए बच्चों को अकेले पुस्तकालय तक भेजना बहुत मुश्किल है. उन्हें डर लगता है कि उनके बच्चों का अपहरण हो जाएगा और इसलिए वह हमेशा अपने बच्चों को पुस्तकालय नहीं ला पाते.

ऐसे भी बहुत से बच्चे हैं जिन्होंने पुस्तकालय आने की इच्छा जगाई है परंतु वह ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि वह पुस्तकालय से बहुत दूर रहते हैं.

वे कहती हैं कि मिनी वैन के आ जाने से इस मुश्किल का हल हो जाएगा.

ऐसे बहुत से माता-पिता हैं जिन्होंने एक ऐसी सर्विस के लिए पैसे देने की इच्छा दिखाई है जो उनके बच्चों को  उनके घर से लेकर उन्हें वापस घर पहुंचाए परंतु  उनमें से बहुत ही कम लोग उनकी फंड्स में मदद कर रहे हैं.

" यह मिनी वैन इन बच्चों के बेहतर कल का एक प्रतीक है", वे कहती हैं.
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यहपुस्तकालयउनबच्चोंकेलिएएकऐसीजगहहैजहांवहसीखनेकेसाथ-साथएकदूसरेकेसाथमस्तिभीकरतेहैं. इसपुस्तकालयमेंकहानियांसुनाईजातीहै, पर्सनालिटीडेवलपमेंटपरवर्कशॉपकराईजातीहैऔरकरियरगाइडेंसऔरफ्रीकाउंसलिंगभीदीजातीहै.


बहुत ही कम बच्चे बाहर खेल पाते हैं क्योंकि बाहर का राजनैतिक माहौल ठीक नहीं है. यह पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहां भिन्न-भिन्न उम्र और जाति के बच्चे एक साथ पढ़ पाते हैं.

उनके पिता इसी क्षेत्र में है परंतु वह पुणे और कोडईकनाल में बड़ी हुई. उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में भी काम किया हुआ है.  वह दिल्ली के एक पब्लिशिंग हाउस में भी काम कर चुकी हैं.  फिर उन्होंने मेघालय जाने का निर्णय लिया. " मैंने यहां आने का निर्णय तब लिया जब  परिस्थितियां खराब हो गई.  मैं यहां आकर  काम कर सकती थी और मदद कर सकती थी." वे कहती हैं.

वह चाहती है कि अधिकतर बच्चे उनके पुस्तकालय में आकर किताबे पढे और जानकारी बाटे. उन्होंने अपने बहुत से मित्रों से बात की है जो अपने पुस्तकालय खोलने के लिए तत्पर हैं.

" यह कम्युनिटी प्रोजेक्ट है. हमने बस एक बीज बोया है और सब उसका पालन पोषण कर रहे हैं. हम हमेशा चाहते हैं कि कोई परिवर्तन लाए परंतु वह हम स्वयं क्यों नहीं कर सकते", वह कहती है.

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जेमिमा मरक पुस्तकालय मेघालय सकारात्मक वातावरण