डिसेंबर 16, 2012 में हुए भयानक बलात्कार मामले में मुजरिम साबित हुआ सबसे कम आयु वाला दोषी रविवार, 20 डिसेंबर को जेल से बाहर होगा.
2012 में जब एक 23 वर्षीय पेरमेडिक्स छात्रा का बलात्कार हुआ, तब मुजरिम किशोरावस्था में था, जिसके फलस्वरूप उसे जुवेनाइल जस्टीस आक्ट के तहत उच्चताम सज़ा मिली: 3 वर्ष रिमांड होम. 20 दिसम्बर के बाद उन्हे क़ानून की हिरासत में नहीं रखा जेया सकता. भाजपा लीडर सुब्रमणियम स्वामी ने न्याय्तन्त्र से अनुरोध किया के इस फ़ैसले पर रोक लगाई जाए.
कोर्ट में यह फ़ैसला सुनने के बाद लड़की की माँ का दिल भर आया और वे रो पड़ी. "हमसे इंसाफ़ का वादा किया गया था जो हूमें नहीं मिला है. एक मुजरिम विमुक्त होने जेया रहा है", उन्होने न्यूज़ रिपोर्टर्स से कहा.
तीन वर्ष पहले दिल्ली की सड़कों पर चल रही एक बस में 23 वर्षीय युवती का ड्राइवर समेत 6 पुरुषों ने मिलकर बलात्कार किया, और उसके साथी मित्र को मारा. हमले के 13 दिन बाद युवती को एमर्जेन्सी ट्रीटमेंट के लिए सिंगपुर भेजा गया परंतु बलात्कार से आई चोट के कारण 2 दिन बाद उन्होने दम तोड़ दिया. इस घटना पर देश-विदेश के अनेक लोगों की नज़र पड़ी और उन्होने इसकी कठोर शब्दों में निंदा की.
निर्भाया के माता पिता ने भारतीय महिलाओं के सुरक्षा प्रबंध के प्रति घृणा व्यक्त की. हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक फोटो प्रधारषनि के अवसर पर पिता बद्री सिंह ने कहा के उनकी बेटी तो चल बसी, पर सड़कों पर चल रही सभी लड़कियों की चिंता उन्हे सताती है. अगर वो किशोर बालक छूट जाता है तो कौन जाने कब, किसे वो अपना अगला शिकार बना सकता है.