Advertisment

परेश रावल के अरुंधति रॉय पर किए गए ट्वीट पर सिलेब्रिटीज ने व्यक्त करे अपने विचार

author-image
Swati Bundela
New Update

आजकल ट्विटर एक ऐसा जंग का मैदान बन गया है जहाँ कोई भी राष्ट्रवाद बहस छेड़ देता है. रविवार को परेश रावल ने एक ऐसा ट्वीट किया जिससे सोशल मीडिया चौंक गया. फिल्म अभिनेता परेश रावल ने ट्वीट कर कहा था कि “पत्थरबाज़ को आर्मी की जीप से बांधने के बजाय अरुंधती राय को बांधना चाहिए.” रावल के इस ट्वीट के दस हज़ार से अधिक रीट्वीट हो चुके हैं और करीब 20 हज़ार लोगों ने इसे लाइक किया है.

Advertisment


ट्विटर पर ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने परेश रावल के इस ट्वीट को राजनीतिक पार्टी में अपना स्तर ऊंचा करने के अवसर के रूप में देखा. उन्होंने यह भी कहा कि परेश रावल हिंसा उत्तेजित करने का प्रयास कर रहे हैं

Advertisment

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि एक अभिनेता होने के अलावा परेश रावल लोकसभा के सदस्य भी हैं और वह अपने ट्वीट के द्वारा लोकप्रिय लेखिका और बुकर प्राइज विनर अरुंधति रॉय की बात कर रहे हैं. उनकी इस टिप्पणी के कारण वर्चुअल वह वास्तविक दुनिया में विवाद खड़ा हो गया है . इस ट्वीट पर बहुत ही मशहूर हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त करें .यूनियन मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने कहा हम किसी के लिए भी ऐसा हिंसक संदेश को समर्थन नहीं करेंगे .


Advertisment

ट्विटर पर ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने परेश रावल के इस ट्वीट को राजनीतिक पार्टी में अपना स्तर ऊंचा करने के अवसर के रूप में देखा. उन्होंने यह भी कहा कि परेश रावल हिंसा उत्तेजित करने का प्रयास कर रहे हैं


टेलीग्राम में आए एक आर्टिकल से प्रभावित होकर लेखिका निरंजना रॉय ने ट्विटर पर एक थ्रेड शुरू करि और उन्होंने इस बात पर गौर किया कि अरुंधति रॉय की नई किताब द मिनिस्ट्री ऑफ द मोस्ट हैप्पीनेस रिलीज होने वाली है यह किताब उनके द्वारा लिखी गई “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” पर आधारित है.

Advertisment

तक्षिला इंस्टिट्यूट की को-फाउंडर ने शीदपीपल.टीवी से इस विवाद के बारे में बात करि. उन्होंने कहा कि जरुरी नहीं कि सिलेब्रिटीज़ को कुछ भी कहने से पहले सोचना पड़े भारत एक एक लोकतांत्रिक देश है और सिलेब्रिटीज़ अपनी फिल्मों , किताबों या किसी भी इवेंट की प्रमोशन बिना स्वयं को उचित ठहरा सकते हैं.


Advertisment

वह मानती है कि हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ठीक से इस्तेमाल करना चाहिए हम अपने मंत्रियों को ऐसे टिप्पणियां देने की उम्मीद नहीं रखते यदि परेश रावल को लगता है कि उनके पास स्वयं को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता है तो उंहें यह पता होना चाहिए कि दूसरे लोग उन्हें उनकी इस टिप्पणी के लिए उन पर आरोप लगा सकते हैं.


परेशरावल के इस ट्वीट को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सेफ सिटी की एल्सा मेरी कहती हैं कि यह ट्वीट हिंसा उत्तेजित करता है परंतु हम इसको जेंडर एब्यूज का नाम नहीं दे सकते. महिलाएँ सॉफ्ट टारगेट अवश्य होती हैं. और परेश रावल की यह नफरत एक राजनैतिक विचारधारा को दर्शाता है और ऐसा ट्वीट समाज के एक ऐसे खंड को उत्तेजित करता है जो इस प्रकार की सोच को बढ़ावा देते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या रावल ने जो किया वह सेलिब्रिटी पावर रिव्यूज़ का केस है तो उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से सिलेब्रिटीज है जो अपनी शक्ति का इस्तेमाल सुर्खियां बटोरने के लिए कर रहे हैं. दूसरी ओर ऐसे भी बहुत से सिलेब्रिटीज है जो अपनी शक्ति या आवाज का इस्तेमाल बदलाव लाने के लिए कर रहे हैं. मैं अभिनेता अभय देओल की बात कर रही हूं.”

Advertisment

नीलांजना रॉय ने कहा- “जब मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रिपोर्ट करती थी तो मैं समर्थक रहती थी कि हमारा देश अपना डीएनए नहीं भूलेगा – निष्पक्षता, रचनात्मकता में खुशी।“


Advertisment

she the people paresh rawal arundhati roy अरुंधति रॉय परेश रावल
Advertisment