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उन्होंने कई अभ्यास मिशन भी किए हैं जिसमें रॉकेट, बंदूक और उच्च कैलिबर बम गिराना शामिल है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने वायु सेना की और भी एक्सेरसाइज़ेस में भी भाग लिया। 500 घंटे, जो उन्होंने घटना-रहित उड़ान में बिताए, 380 घंटे उन्होंने हॉक एमके 132 जेट को उड़ाने में बिताए।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह दिन के दौरान हॉक एडवांस्ड जेट एयरक्राफ्ट द्वारा मिशन पूरा करने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बनीं।
वह भारतीय वायुसेना के महिला लड़ाकू पायलटों के पहले बैच से हैं।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी और फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ के साथ, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह भी आईऐएफ की महिला फाइटर पायलटों के पहले बैच से हैं।
वह 2016 में आईऐएफ में शामिल हुईं
भावना सिंह और अवनी चतुर्वेदी के साथ मोहना सिंह को भारतीय वायु सेना में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा नियुक्त किया गया था। भारत सरकार द्वारा भारतीय वायु सेना में महिलाओं के चयन को खोलने का निर्णय लेने के बाद, ये तीनों इस सूची में चुनी जाने वाली पहली महिला थीं।
पर्रिकर ने वायु सेना में इन तीन युवतियों के शामिल होने को एक बहुत बड़े दिन के रूप में मनाया है। उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया था कि उनका मंत्रालय सशस्त्र बलों में कुल लिंग समानता लाने की दिशा में काम कर रहा है।
पिछले सप्ताह , फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ ने युद्ध मिशन में शामिल होने की योग्यता हासिल करने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बन कर इतिहास रच दिया है।
भावना भारतीय वायु सेना के पहले बैच की महिला फाइटर पायलट हैं। उनके साथ दो अन्य महिला पायलट अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में चुना गया था। एक साल से कम समय में ही सरकार ने प्रयोग के तौर पर महिला पायलटों के लिए युद्ध मिशन में शामिल होने का रास्ता खोलने का निर्णय लिया था।