"मैं एक फुल टाइम लेखक हूँ, और पार्ट टाइम माँ", कहना है पत्रकार बाहर दत्त का, 'मोम्स मीन बिज़्नेस' नाम की हमारी ख़ास श्रंखला में| "भारत में हमें बिना काम करना बंद किए बस मातृत्व का आनंद लेने की ज़रूरत है"||
बाहर दत्त अमृता त्रिपाठी से बात करती हैं|
"जब मैं पार्क में जाती हूँ, मुझे कई मायें मिलती हैं| वे मुझसे अक्सर पूछती हैं, 'क्या तुम फुल टाइम काम करती हो या पार्ट टाइम?' और मैं हमेशा कहती हूँ, मैं एक फुल टाइम लेखक और पार्ट टाइम मान हूँ| यह जो मातृत्व का पासचिमी शब्ज़ाल है, उसके कारण कई महिलायें बहुत व्याकुल हो जाती हैं| भारतवासी होने के नाते हम काफ़ी खुशनसीब हैं कि हमारे पास कई तरह की समर्थन प्रणालियन हैं| हमारी किस्मत अच्छी है की यहाँ घरेलो मदद सस्ती है, और हमारे पास माता-पिता या सास-ससुर होते हैं| हलाकी यह अपने तरह की समस्याएं ले कर आता है, पर की बात नहीं", दत्त कहती हैं||
मुझे लगता है कि भारत में हमें मातृत्व के अनुभव का आनंद लेना चाहिए, पर इसका यह मतलब नहीं कि आपको काम छोड़ने की कोई ज़रूरत है| मैं ऐसी कही महिलाओं को जानती हूँ जो माँ बनने के बाद या तो पार्ट टाइम काम कर रही हैं, या तो उन्होने काम करना बिल्कु छोड़ दिया है| मुझे पता है मैं कुच्छ नया नहीं कह रही हूँ, पर मेरा मानना है कि एक खुश माँ ज़्ड ही एक अच्छी माँ बन सकती है| इसीलिए मुझे लगता है कि महिलाओं का काम करते रहना बहुत ज़रूरी है| मदर्स डे पर सभी माओं को मेरा यही संदेश है|
बच्चों को बड़ा करते हुए प्रकृति की सराहना करना सीखना ज़रूरी
"आज मेरी बेटी 2 साल की है| आप हमेशा साजिश करते रहते हो कि कैसे अपने बच्चों को इन खूबसूरत जगहों पर ले जाया जाए| मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे आर्कटिक और इंडोनेषिया के जंगलों जैसी खूबसूरत जगहों पर जाने का मौका मिला| भारत में भी मुझे ऐसी कई प्राकृतिक जगहों पर जाने का अवसर मिला| मैं हमेशा सोचती थी कि कैसे मैं अपने बच्चे को इसमे शामिल करूँ?"
"मेरे पति और मैने मिलकर निर्णय लिया कि अगले एक वर्ष तक हम दुनिया भर के पशु प्रवास स्थानों पर यात्रा करने में व्यतीत करेंगे| सबका कहना है कि वे अभी सिर्फ़ 2 साल की है, और बड़े होने पर उसे कुच्छ याद नहीं रहेगा| इसपर मेरा जवाब यह है कि जब तक वो 6 साल की होगी, शायद इनमें से कई प्रवास मौजूद भी नहीं होंगे| यह समस्या है| मैं अपनी बेटी को इन सभी अनुभवों से वाकिफ़ करना चाहती हूँ| आने वाली पीढ़ी इन अनुभवों के अभाव में जीएगी| भला और कैसे आप प्रकृति से इनका एक भावुक रिश्ता जोड़ सकते हैं? आप उपदेश भी दे सकते हैं, पर वह बहुत उबाऊ होता है||"