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इस सिस्टम के अंतर्गत जो भी गर्भवती महिलाएं मेट्रो से यातायात करेंगी उन्हें पहले की तरह ही आटोमेटिक फेयर कलेक्शन ( एएफसी ) वाले दरवाज़ों पर कार्ड और टोकन का इस्तमाल करना होगा। लेकिन, वे अब सामान्य दरवाज़ों का नहीं बल्कि उनके लिए बनाए जाने वाले अलग दरवाज़ों का प्रयोग करेंगी।
सूत्रों ने बताया कि गर्भवती महिलाएं इस बात से काफी चिंतित थीं कि जब वे दरवाज़ों को पार करती थीं, तो कहीं अचानक से दरवाज़ा उन्हें लग न जाये।
बीएमआरसीएल के प्रवक्ता बीएलवाई चवन ने बताया कि, "महिलाओं की तरफ से काफी निवदेन आये थे। डिटेक्टर्स में कोई समस्या नहीं है और यह समझाया भी जा चुका है। साथ ही, एएफसी के दरवाज़े तब तक बंद नहीं होते जब तक व्यक्ति पूरी तरह से बाहर न निकल जाए। इसलिए, इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। लेकिन, क्यूंकि हमारे पास काफी निवेदन आये थे, हमने मानवीय आधार पर उन्हें दूसरे दरवाज़ों को इस्तमाल करने की इजाजत दी है"।
मेट्रो के सूत्रों ने सुनिश्चित किया कि एक भारी संख्या में महिलाएं बीएमआरसीएल के पास गयीं। इनमे से ज्यादातर महिलाएं राजाजीनगर की थीं और साथ ही वे जो ट्रिनिटी स्टेशन का उपयोग करती थीं।
प्रवक्ता बीएलवाई चवन से जब उनके पास इस समस्या से सम्बंधित आने वाले निवेदनों की गिनती पूछी गयी तब वे बोले - "मेरे पास सटीक गिनती नहीं है लेकिन कुछ निवदेन जरूर आये थे। हम सभी जानते हैं कि सिर्फ ट्रिनिटी स्टेशन का ही रोज लगभग 15 गर्भवती महिलाएं इस्तमाल करती हैं"।
बीएमआरसीएल का यह बड़ा कदम वाकई में काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक नया प्रावधान लाने का प्रयास किया है। आशा है कि देश भर में महिलाओं की सुरक्षा और चिंता के लिए ऐसे कदम बढ़-चढ़कर उठाये जाएं।