उपन्यासकार डी.एच.लॉरेंस ने एक बार कहा था, “एक महिला को अपना जीवन भरपूर जीना चाहिए, वर्ना उसे इस पछतावे के साथ जीना होगा कि क्यों वो उस तरह से नहीं जी सकी.” गुडगाँव की ३२ वर्षीय केरेन डीसूज़ा मानो इन्हीं शब्दों से प्रेरणा लेती हैं. वे योग करती हैं और सिखाती भी हैं, दोस्तों और परिवारजनों के लिए स्वादिष्ट केक बेक करती हैं, और यह सब देश के एक बड़े मीडिया हाउस द्वारा प्रकाशित ट्रेवलोग के संपादक की ज़िम्मेदारी सँभालते हुए.
केरेन ने योग करना तब शुरू किया जब वे कुछ वर्षों पहले दुबई रहने गईं. उन्हें अहसास हुआ कि उनका काम उनको अत्यधिक व्यस्त रखने लगा है.
केरेन ने बताया, “जब मैंने नौकरी शुरू की तो कंपनी कर्मचारियों की छँटनी के दौर में थी. मैं जो काम कर रही थी वो वस्तुतः ३ लोगों का काम था. मेरे एक मित्र ने मुझे एक्रोयोग शुरू करने की सलाह दी, जो एक्रोबेटिक्स और योग का मेल है. इससे मैं तनावरहित हो सकी और मैंने अपने अन्दर एक नई ऊर्जा का अनुभव किया.” केरेन ने एक साल बाद अपनी नौकरी छोड़ दी और वे वापिस भारत आ गईं. इसके बाद, उन्होंने धर्मशाला में योग प्रशिक्षक बनने के लिए एक माह का प्रशिक्षण लिया.
आज जबकि वे लोगों को प्रशिक्षण नहीं दे रही हैं, केरेन सुनिश्चित करती हैं कि कम से कम आधा घंटा रोजाना योगाभ्यास करें, क्योंकि यह उन्हें शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है और काम में एकाग्रता बढ़ाने में सहायता करता है. पिछले दो महीनों में उन्होंने रेकी का भी अभ्यास शुरू किया है.
जहाँ योग से केरेन का परिचय संयोग से हुआ, बेकिंग उनके जीवन में तब आई जब वे १६ वर्ष की थीं.
केरेन बताती हैं, “मेरे परिवार में सब मीठा खाने के बहुत शौकीन हैं. एक दिन, मेरी मम्मी इस आदत से बहुत परेशान हो गईं और बोलीं, अब मैं तुम लोगों के लिए केक नहीं बनाऊँगी. इस तरह मैं सीख सकी और आज भी, हर सप्ताहांत कुछ बेक करने की कोशिश ज़रूर करती हूँ.”
और इतना सबकुछ करते हुए भी, केरेन अपने लिए कुछ पढ़ने का समय निकाल ही लेती हैं, वो भी एक ऐसी नौकरी से घर आने के बाद, जिसमें उन्हें ज़्यादातर समय पढ़ना ही होता है. हालाँकि एक वास्तविक किताब पढ़ना उन्हें बहुत ज़्यादा सुकून देता है, पर प्रकाशन में अपने अनुभव के आधार पर उन्हें लगता है कि यह उद्योग धीरे-धीरे ऑनलाइन माध्यम से भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगा है.
केरेन ने बड़े होते समय सात अलग-अलग शालाओं में पढ़ाई की है, क्योंकि उनके पिताजी भारतीय वायु सेना में अधिकारी थे और उनकी पोस्टिंग अलग-अलग स्थानों पर होती रहती थी. आज भी केरेन को यात्रा करना बहुत पसंद है और अपनी पसंद के विभिन्न काम करना भी उन्हें बहुत ख़ुशी देता है. दो बिल्लियों का पालन-पोषण करने के साथ-साथ, वे दिल्ली स्थित उम्मीद नामक एक बचाव और पुनर्वास संस्था के लिए स्वयंसेवक के रूप में कार्य भी करती हैं.