इस तरह का समाचार लोगों में आशा की एक नई किरण जगाता है, जिससे हमें यह पता चलता है के कंपनीज़ लिंग निष्पक्ष होने और महिलाओं को उनकी जगह देने की तरफ काम कर रही हैं. स्टाफिंग सेवा कंपनी TeamLease ने यह घोषणा की के बिज़्नेस या ट्रैनिंग के लिए ट्रॅवेल करने के लिए वह अब अपने 5 वर्ष तक के बच्चों को साथ ला सकती हैं. दोनो बच्चों और उनकी देखभाल करने वाले साथी पर होने वाला यात्रा व आवास व देखभाल का खर्चा कंपनी ही उठाएगी.
अपर्णा अत्रेया ने कहा, " इस प्रकार की नीति महिलाओं को बिना किसी दोष की भावना से, पूर्ण समर्पण के साथ काम करने का अवसर देती है.”
“माता-पिता और बच्चों के साथ काम करने के मेरे अनुभव में मैने यह समझा के महिलाओं के लिए सबसे बड़ी बाधा अपने बच्चों से लंबे समय तक अलगाव होता है. चाहे वो एक माँ के रूप में जितना कुच्छ कर रही हो, सभी कार्यकारी महिलाओं इस भावना से अवश्य जूझती हैं”, कहती हैं अपर्णा अत्रेया, जो Kid and Parent Foundation ई संस्थापक हैं.
माता-पिता और बच्चों के साथ काम करने के मेरे अनुभव में मैने यह समझा के महिलाओं के लिए सबसे बड़ी बाधा अपने बच्चों से लंबे समय तक अलगाव होता है.
उन्होने यह भी कहा, “इस प्रकार की नीति महिलाओं को बिना किसी दोष की भावना से, पूर्ण समर्पण के साथ काम करने का अवसर देती है. यह पॉलिसी कार्यस्थल को समान अवसर संचालित बनाने में भी मदद करेगी.
स्टार इंडिया ने हाल ही में अपने मातृत्व लाभ की घोषणा करते हुए यह बताया के अपनी कंपनी में अडॉप्षन, सरोगसी या नॉर्मल मातृत्व से गुजरने वाली महिलाओं को 6 महीने की छुट्टी, अगले 6 महीने हाफ-दे/ हाफ वीक लेने, और अधिक 6 मास हाफ पे की छुट्टी पर जाने की सुविधा प्रदान करती है.
पिछले वर्ष, CitiBank ने भी अपनी मातृत्व लाभ योजना के बारे में जानकारी दी जिसमें महिला कर्मियों को एक साल तक चाइल्ड-केर अलोवेन्स की सुविधा है, जो उनके अपने वेतन से भी ज़्यादा होता है. फ्लिपकार्ट भी अपनी महिलाओं को 24 हफ्ते की मॅटर्निटी लीव और लचीली कार्य शैली की सुविधा देते हैं.
काम करने वाली महिलायें अक्सर खुद को इस दुविधा में पाती हैं- घर पर रह कर बच्चों का ख्याल रखें या काम पर ध्यान दे. कुच्छ कोम्पनिस शिशु ग्रह की सुविधा भी देती हैं, परंतु बड़ी चुनौती यह है की महिलाओं को घर पे ट्रॅवेल या काम करने के लिए कुच्छ ख़ास समर्थन नहीं मिलता.महिला और बाल मंत्रालय की मानेका गाँधी इस अभियान से बहुत हद तक जुड़ी हुई हैं. वे सरकार द्वारा 26 हफ्ते की मॅटर्निटी छुट्टी को अनिवार्य करवाना चाहती हैं.
कार्यस्थल पे महिलाओं को दी जाने वाली यह सुविधा घर से आने वाले दबाव से कुच्छ आराम देती है. ऐसे ही छोटे-छोटे बदलावों से कार्यस्थल पे महिलाओं की भागीदारी में कुच्छ बढ़त आएगी. इससे कंपनी की उत्पादकता और कर्मचारी प्रतिधारण में वृद्धि होगी, जिससे कोम्पनयों का भी विकास होगा.