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महिलाओं ने, सदियों से, अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ किया है. वैसे तोह आज कल की महिलाएँ अपनी सेहत का ध्यान रखने में विश्वास रखती हैं परन्तु ऐसी बहुत सी महिलाएँ हैं जो अपनी सेहत पर ठीक से ध्यान नहीं देती. वह अपनी शक्ति अपने आस पास के लोगों का ख्याल रखने में लगा देती हैं. स्वस्थ रहने का यह मतलब नहीं है कि हम "साइज जीरो बॉडी" की ओर काम करें. अच्छी सेहत वो होती है जो हमें अपनी क्षमता के अनुसार काम करने दे.
मोटापा के कारण कार्डियोवास्कुलर डिसीसेस, हाइपरटेंशन, ब्रैस्ट कैंसर, आर्थराइटिस, इनफर्टिलिटी जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं. यदि स्ट्रेस लेवल ज्यादा हो to इंसान को डिप्रेशन भी हो सकता है. हमारे लिए अब अनिवार्य हो गया है कि हम अपनी दिन चर्या में कुछ व्यायाम के लिए समय निकालें.
डॉक्टर्स का कहना है कि मनुष्य को काम से काम तीन बार आधे घंटे के लिए व्यायाम करना चाहिए.
एक रेगुलर फिटनेस रूटीन से मोटापे से लड़ा जा सकता है. आप स्विमिंग, जिम, सालसा और ज़ुम्बा जैसे वर्कऑउट्स भी कर सकते हैं. जो महिलाएँ एक्सरसाइज करती हैं उन्हें पीएमएस की समस्या नहीं होती.
एक्सरसाइज करना इसलिए ज़रूरी है क्यूँकि
१. दिल को मज़बूत करता है
२. स्टैमिना बढ़ाता है
३. मानसिव तनाव काम करने में सहायक है.
४. रेस्पिरेटरी मांसपेशियों को मज़बूत बनता है.
५. रिसर्च के अनुसार एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन्स या हैप्पी हॉर्मोन रिलीज़ होती है.
वैसे तो स्वास्थ्य का ख्याल रकना सभी महिलाओं के लिए ज़रूरी है, परन्तु ऐसा माना जाता है की जो महिलाएँ अपने काम में निर्णय लेने की स्थिति में होती हैं, उन्हें एक्सरसाइज ज़रूर करनी चाहिए.
एक अच्छे और पौष्टिक आहार खाना भी बहुत ज़रूरी है. ऐसा मन गया है की महिलाओं की पोषण स्थिति पुरुषों से काम है. हमारी डाइट ऐसी होनी चाहिए जो-:
१ संतुलित और पौष्टिक हो. उसमें विटामिन्स की कमी नहीं होनी चाहिए.
२. उसमें जंक फ़ूड नहीं होना चाहिए. उससे मोटापा होता है.
३. ८ से १० गिलास पानी रोज़ पीना ज़रूररी है.
४. हमें रोज़ लगभग ३० ग्राम फाइबर खाना चाहिए.
५. हमें ग्रीन टिया पीनी चाहिए. इससे हमें एंटीऑक्सिडेंट्स मिलते हैं.