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अनिला ने बताया की उन्हें 02 अगस्त, 2018 को एक फ़ोन आया की एक 2 दिन का बच्चा डस्टबिन में पायी गयी है । बच्ची बहुत ज़्यादा रो रही थी, उसका गला बिलकुल लाल था क्योंकि वो भूखी थी और भूख के कारण बस रोये जा रही थी ।
अनीला ने कहा की " मैं उसे हस्पताल लेकर गई पर वो बच्ची बहुत रो रही थी इसलिए मुझे उसे ब्रेस्टफीड करवाना पड़ा , बाद में डॉक्टर में मुझे बताया की बच्ची को दूध पिलाना ज़रूरी था नहीं तो वो मर जाती ।
करुणा के सम्मान में पुरुस्कार
अनिला को 18 अगस्त को नई दिल्ली के लाजपत भवन सभागार में आइकोनिक पर्सनालिटी अवार्ड दिया जाएगा ।
वह पूरे राज्य से अनिला एकमात्र पुलिसकर्मी हैं जिन्हें यह पुरस्कार दिया जाएगा।
पिछले साल अगस्त में, अनीला ने इस बच्ची को ब्रेस्टफीड करा उसकी जान बचाई थी । यह बच्ची कचरे के डब्बे में पायी गयी थी ।
पुलिस और ममता
इसी साल मई में इसी तरह दया और मानवता दिखाते हुए, एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के हवलदार इकबाल सिंह ने अपने हाथों से एक परलाइज़्ड बच्चे को श्रीनगर में खाना खिलाया। इसके अलावा, बेंगलुरु की एक अन्य पुलिसकर्मी ने पिछले साल एक नवजात शिशु को एक कंस्ट्रक्शन साइट के पास से कचरे के ढेर में प्लास्टिक की थैली में लिपटे हुए बुरी हालत में पाया।
शिशु लड़के को सहायक उप-निरीक्षक नागेश आर और उनकी टीम ने बचाया और महिला कांस्टेबल अर्चना द्वारा नर्स किया गया। नागेश आर ने द हिंदू को बताया, “बच्चा बुरी हालत में था। वह खून से लथपथ था और एम्बिलिकल कॉर्ड उसके गले में लिपटी हुई थी। "
मैटरनिटी लीव के बाद अर्चना ने ड्यूटी करना शुरू कर दिया और रोते हुए बच्चे को स्तनपान कराया। तीन महीने के एक बच्चे की माँ होने के नाते, उस बच्चे की दुर्दशा ने अर्चना के दिल को बुरी तरह से हिला दिया था । इतनी केयर करने के बावजूद भी वो बच्चा बच नहीं सका था ।उसके सर पर चोट के निशान भी थे ।