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मीराबाई ने महिलाओं के 49 किलो वर्ग में 191 किलो (84 प्लस 107) वजन उठाया । यहां से मिले अंक 2020 तोक्यो ओलंपिक की अंतिम रैंकिंग में काफी उपयोगी साबित होंगे। मीराबाई ने अप्रैल में चीन के निंगबाओ में एशियाई चैम्पियनशिप में 199 किलो वजन उठाया था लेकिन मामूली अंतर से पदक हासिल करने से चूक गई थी।
पूर्व वर्ल्ड चैम्पियन मीराबाई चानू ने कामनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप के पहले दिन मंगलवार को गोल्ड मैडल जीता।
ओलंपिक 2020 की क्वालीफिकेशन प्रोसेस में 18 महीने के भीतर छह टूर्नामेंटों में वेटलिफ्टिंग के प्रदर्शन पर निर्भर है । इसमें से चार सर्वश्रेष्ठ नतीजों के आधार पर सिलेक्शन होगा। झिल्ली डालाबेहरा ने 45 किलो वर्ग में 154 किलो वजन उठाकर गोल्ड मैडल जीता।
सीनियर 55 किलो वर्ग में सोरोइखाइबाम बिंदिया रानी और मत्सा संतोषी को गोल्ड और सिल्वर मैडल मिले। पुरूष वर्ग में 55 किलो वर्ग में रिषिकांता सिंह ने गोल्ड मैडल जीता।
साल 2018 में चोट के कारण कई बड़ी प्रतियोगिताओं से दूर रहना पड़ा
मणिपुर की इस 24 वर्षीय खिलाड़ी ने स्नैच में 82 किग्रा और क्लीन एवं जर्क में 110 किग्रा वजन उठाकर टॉप रैंक हासिल किया। उन्हें चोट से उबरने के लिए काफी लम्बी फिजियोथेरेपी करानी पड़ी थी। चानू इस चोट के कारण पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाई थीं जो गोल्ड स्तर की ओलंपिक क्वालीफायर है। वह जकार्ता में एशियाई खेलों में भी नहीं खेली थीं। चानू ने इससे पहले गोल्ड कोस्ट में कामनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया था जहां उन्होंने 196 किग्रा के प्रयास के साथ गोल्ड मैडल जीता था।
“मैंने रियो ओलंपिक और 2017 विश्व चैम्पियनशिप में एशियाई वेइटलिफ्टर्स के साथ कम्पीट किया है। मैंने एशियाई खेलों में उनके परफॉरमेंस को फॉलो किया है। इन सभी ने अपने स्टाइल और तकनीक को बदलते हुए बहुत कुछ मैच्योर्ड तरीके से किया है। ट्रेनिंग शुरू करने के बाद इसने मुझे बहुत मदद की है। ”
मीराबाई ने अब टोक्यो ओलंपिक 2020 को अपना लक्ष्य बना रखा है। “चोट लगने से पहले और अपनी ट्रेनिंग की शुरुआत से पहले, मैं अपना फिगर देखती हूं। मुझे पता है कि आनेवाली एशियाई चैम्पियनशिप में 200 किलोग्राम वजन बार पार करना मेरे लिए संभव नहीं होगा। मैंने इसे टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए निर्धारित किया है। हर दिन इस आंकड़े को देखते हुए मैं प्रेरित महसूस करती हूं, " मीराबाई ने कहा।