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विकास बरला और आशीष कुमार को वर्णिका द्वारा शिकायत के बाद 4 अगस्त और 5 की बीच रात को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन वे ज़मानत पर रिहा कर दिए गए क्योंकि उन्हें भारतीय दंड संहिता और मोटर वाहन अधिनियम के ज़मानती खंडों के तहत दर्ज किया गया था।
चंडीगढ़ में एक कोर्ट ने मंगलवार को हरयाणा के बीजेपी मुख्य सुभाष बरला के बेटे विकास और उसके दोस्त आशीष कुमार की ज़मानत की याचिका को खारिज कर दया है जिनको एक २९ वर्षीय महिला का पीछा करके उनका अपहरण करने की कोशिश करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। बचाव पक्ष के वकील रविंद्र पंडित ने बताया कि सिविल जज बरजिंदर पाल सिंह के कोर्ट ने दोनों आरोपियों की बैल अपील को खारिज कर दिया है। वरिष्ठ आईएएस अफ़सर की बेटी इस महिला वर्णिका ने २३ वर्षीय विकास और २७ वर्षीय आशीष कुमार को अपना पीछा करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।
ये दोनों ४ और ५ अगस्त के बीच की रात में वर्णिका की शियाकत के बाद गिरफ्तार किये गए थे मगर बैल पर छोड़ दिए गए थे क्यूंकि ये भारतीय दंड संहिता और मोटर वाहन अधिनियम की ज़मानती धरा के अंतर्गत गिरफ्तार हुए थे।
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इस हादसे ने देशभर में एक नाराज़गी और विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है जिसमें पीड़ित के समर्थन और महिलाओं की सुरक्षा के सन्दर्भ में जागरुकता बढ़ाने के लिए में प्रदर्शन भी निकाले गए।
वे ९ अगस्त को दोबारा गिरफ्तार किये गए जब वो पुलिस की जांच पड़ताल में शामिल हुए और आयीपीसी की धरा ३६५ और ५११ के तहत उनपर अपहरण के आरोप साबित हो गए।
जब वो कोर्ट में २५ अगस्त को पेश हुए तब उन्हें ७ सितम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
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